UPSC CSE कैंडिडेट्स नहीं कर सकेंगे EWS कोटा का दावा, अगर नहीं किया ये काम

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(www.arya-tv.com) कोर्ट में हुई सुनवाई में याचिकाकर्ताओं ने परिणाम के बाद उन्हें सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों के रूप में मानने के यूपीएससी के फैसले को चुनौती दी थी. इस फैसले से ये साफ होता है कि यदि कैंडिडेट्स यूपीएससी द्वारा बताई गई तारीखों में अपना EWS कोटा के प्रमाण पत्र जमा नहीं करते हैं तो वे उस श्रेणी का होने का दावा नहीं कर सकते.सुप्रीम कोर्ट ने 9 अक्टूबर को सिविल सेवा उम्मीदवारों द्वारा दायर तीन रिट याचिकाओं को खारिज किया. इसमें संघ लोक सेवा आयोग के फैसले को चुनौती दी गई थी. आयोग ने EWS श्रेणी के संबंध में प्रमाण पत्र जमा नहीं करने पर उन्हें सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार माना था . इन उम्मीदवारों ने सिविल सेवा परीक्षा 2022 के लिए निर्धारित कट ऑफ तिथि से पहले अपना ews सर्टिफिकेट जमा नहीं किया था.

कोर्ट ने माना निर्धारित कट ऑफ तिथि से पहले प्रमाण पत्र जमा नहीं करने के कारण ईडब्ल्यूएस कोटा के लिए उम्मीदवारों के दावे को खारिज करना यूपीएससी द्वारा सही था. बैंच ने कहा कि सिविल सेवा परीक्षा 2022 के रिजल्ट में कानून और नियमों की संवैधानिकता को बरकरार रखा गया है. फैसले को पढ़ने वाले न्यायमूर्ति विश्वनाथन ने कहा, सीएसई 2022 में ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लाभ का दावा करने वाले उम्मीदवार तभी एलिजिबल माने जाते जब वे केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित मानदंड के मुताबिक तय तारीखों के मुताबिक अपने प्रमाण पत्र जमा करते.

सीएसई नियमों के अनुसार, सिविल सेवा परीक्षा 2022 देने वाले उम्मीदवारों के पास 22.02.2022 तक आय और संपत्ति प्रमाण पत्र होना चाहिए. कोई भी उम्मीदवार जिसके पास निर्धारित आय और संपत्ति प्रमाण पत्र नहीं है, वह ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लाभ का दावा नहीं कर सकता है. DAF-1 में, 22.02.2022 तक मौजूद दस्तावेज़ को निर्धारित तिथि से पहले ऑनलाइन जमा करना था पीठ ने कहा कि यूपीएससी द्वारा ईडब्ल्यूएस श्रेणी के तहत लाभ का दावा करने वाले उन उम्मीदवारों की उम्मीदवारी को खारिज करना सही था क्योंकि उन्होंने निर्धारित समय सीमा में आय और संपत्ति प्रमाण पत्र जमा नहीं किए थे.याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि यह कार्रवाई मनमानी थी और संविधान के अनुच्छेद 14, 16 और 21 का उल्लंघन है. जबकि पीठ ने कहा है कि दस्तावेजों को अपलोड करने के लिए प्रारूप और कट-ऑफ निर्धारित करना यूपीएससी द्वारा सही था. याचिकाकर्ताओं ने परिणाम के बाद उन्हें सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों के रूप में मानने के यूपीएससी के फैसले को चुनौती दी थी.