(www.arya-tv.com) मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में 20 साल से आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि शुक्रवार को रिहा हो गए। सजा का अधिकांश हिस्सा बीआरडी मेडिकल कॉलेज में गुजारने वाले अमरमणि का रसूख एक बार फिर सुर्खियों में आ गया।
वहीं, 2 दशक से इंसाफ की लड़ाई लड़ रही मधुमिता की बहन निधि की आंखों में खौफ उतर आया। बोलीं- जिंदा बचेंगे… तो कानूनी लड़ाई लड़ेंगे। कुछ ऐसा ही डर अमरमणि की समधन सीमा सिंह की आंखों में भी दिखा।
2012 में गोरखपुर ट्रांसफर.. फिर चला इलाज
उत्तर प्रदेश के इस चर्चित मर्डर केस में फैसला देहरादून फास्ट ट्रैक कोर्ट ने दिया। ये उनका रसूख ही था कि 2012 में जब उन्हें गोरखपुर जेल ट्रांसफर किया गया। तो कुछ ही दिनों में उत्तराखंड के डॉक्टरों ने उनकी पत्नी मधुमणि के लिए भी गोरखपुर जेल में शिफ्टिंग की सिफारिश कर दी।
मधुमणि गोरखपुर आईं, तो ज्यादातर अस्पताल में ही रहीं। अमरमणि हर सुबह जेल से बाहर मेडिकल कॉलेज में फीजियोथेरैपी के लिए आते थे। फिर अपनी प्राइवेट गाड़ियों में घूमते थे। अपने कपड़े पहनते थे, जेल की वर्दी नहीं।
उनका जलवा मीडिया में उछलता तो जेल के मातहतों पर गाज गिरा दी जाती। लेकिन अमरमणि पर एक भी छींटा नहीं पड़ता था। ऐसा हो भी क्यों न, वो पूर्वांचल के बाहुबली स्व. पंडित हरिशंकर तिवारी के भांजे जो ठहरे
अमरमणि मानसिक बीमार, पत्नी को सर्वाइकल
ऐसा भी नहीं था कि अमरमणि और मधुमणि को कोई गंभीर बीमारी थी। डॉक्टरों के मुताबिक, अमरमणि मानसिक रूप से बीमार हैं। उनका इलाज मानसिक रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. तपस कुमार आइच के देखरेख में चल रहा है।
जबकि, उनकी पत्नी मधुमणि को सर्वाइकल से जुड़ी दिक्कत बताई गई है। उनका न्यूरो सर्जन की देखरेख में इलाज चल रहा है। उनके बेटे पूर्व विधायक अमन मणि त्रिपाठी का कहना है,”फिलहाल पिता जी की स्थिति ठीक नहीं है। डॉक्टरों की देखरेख में उनका इलाज चल रहा है। उनके पूरी तरह स्वस्थ्य हो जाने के बाद ही डॉक्टरों के परामर्श पर उन्हें यहां से डिस्चार्ज कराया जाएगा।
”बेटे पर भी लगा पत्नी की हत्या का आरोप
अमनमणि पर अपनी पहली पत्नी सारा की हत्या का आरोप लगा और उन्हें जेल भी जाना पड़ा। हालांकि इसका उनके राजनीतिक जीवन में कुछ फर्क नहीं दिखा। जेल में रहकर भी अमरमणि का नौतनवा सीट पर रुतबा कायम था। 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अमनमणि को जीत दिलवाने में कामयाबी हासिल की। इस बार वो निर्दलीय चुनाव जीते। हालांकि, 2022 के चुनाव में पहली बार नौतनवा सीट अमरमणि के परिवार के कब्जे से बाहर हुई।