(www.arya-tv.com) यूपी पुलिस अपराधियों का क्राइम डेटा तैयार कर रही है। जिससे अपराधी का फिंगर प्रिंट, नाम, रेटिना और जन्म-तिथि डालते ही आधार कार्ड की तरह पूरा रिकार्ड सामने आ जाए। इसके लिए टेक्निकल टीम ने एक ब्लूप्रिंट तैयार कर इस पर काम शुरू कर दिया है।
इसके लिए जिलों में पकड़े जाने वाले अपराधियों से लेकर पांबंद होने वाले लोगों का भी डेटा रिकार्ड करने के लिए स्कैन मशीन लगाई गई है। जिससे कानून तोड़ने वाले सभी का रिकार्ड नो योर क्रिमिनल (केवाईसी) के तहत ‘त्रिनेत्र’ एप और यूपी कॉप एप पर फोटो, एड्रेस, आईपीसी समेत अपलोड हो सके।
एडीजी टेक्निकल मोहित अग्रवाल ने बताया कि इस प्रोसेस को शुरू कर दिया गया है, इसके लिए हर जिले के एक थाने पर अपराध से जुड़े लोगों का डाला लेने के लिए मशीन लगाई गई है। जल्द ही रिकार्ड को मैनटेन कर ऐप पर अपलोड कर दिया जाएगा।
राजधानी में 10 साल में 9125 अपराधी हुए चिन्हित
लखनऊ कमिश्नरेट पुलिस ने 2013 से लेकर अबतक रिकार्ड में दर्ज घटनाओं में 9145 अपराधियों को चिन्हित किया है।
यह अपराधी लखनऊ में वारदात कर चुके है। जिनमें से कई कानपुर, कानपुर देहात, हरदोई, सीतापुर, बाराबंकी, सुलतानपुर, अमेठी, आयोध्या, उन्नाव, इटावा, बुंदेलखंड के साथ एमपी, राजस्थान, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के भी रहने वाले हैं।
इसी तरह अन्य जिलों में भी अपराधियों की संख्या चिन्हित एक हजार से पांच हजार तक पहुंच रही है। स्थानीय पुलिस अब पिछले दस साल के इन सभी का रिकार्ड मेनटेन कर अपराधियों का केवाईसी करने की तैयारी कर रहा है। ताकि अपराधियों का रिकार्ड मेनटेन कर उनपर निगरानी रखी जा सके।
आपराधिक वारदात खुलने में मिलेगी मदद
एडीजी टेक्निकल मोहित अग्रवाल ने बताया कि क्राइम डेटा तैयार होने से अपराधिक वारदातें खोलने में मदद मिलेगी।
क्योंकि घटना स्थल पर मिले फिंगर प्रिंट से लेकर सीसीटीवी फुटेज से डेटा बेस से मिलान कराने पर बहुत कुछ तथ्य सामने आने की संभावना है।
क्योंकि इस एप्लिकेशन में अपराधियों का रिकार्ड मेनटेन किया जा रहा है। जिससे हर अपराधी की फोटो, एड्रेस, अपराधिक इतिहास समेत पूरा ब्यौरा कोई भी जिला पुलिस आसीनी से ट्रेक कर सकेगी।

 
 
	 
						 
						