(www.arya-tv.com) नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट उत्तर प्रदेश की विधानसभा में पेश की गई। फिलहाल यूपी सरकार के कई विभागों में बड़े खुलासे भी हुए हैं। यूपी सरकार के विभागों ने अनियमितताओं का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। 43 विभागों ने सालाना पेश की जाने वाली 266 रिपोर्ट जमा ही नहीं की। इससे ये नहीं पता चल सका कि इन उद्यमों की आय-खर्च-घाटा का हिसाब किताब क्या है?
कई विभाग तो इतने दिग्गज निकले कि 21 साल से लगातार रिपोर्ट दाखिल नहीं की। बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के चक्कर में प्राधिकरणों को करीब 200 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है। CAG रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है। CAG ने इस पर गंभीर आपत्ति जताते हुए वित्तीय अनियमितता की आशंका जताई है। आबकारी, बिजली, नगर विकास और स्टाम्प निबंधन समेत तमाम विभागों में हजारों करोड़ की अनियमितता पाई गई है।
निकायों और प्राधिकरणों में 8170 करोड़ की गड़बड़ी
विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के चलते 5 विभागों में कुल 3640 करोड़ का नुकसान हुआ है। GST विभाग ने 1525 करोड़ के नुकसान की बात कही है, जिसमें 1446 करोड़ फर्जी ITC यानी इनपुट टैक्स क्रेडिट से संबंधित है। प्रदेश सरकार को शराब में 1276 करोड़ का नुकसान हुआ है। CAG रिपोर्ट के मुताबिक, स्टांप एवं निबंधन विभाग में 351.30 करोड़ रुपए की अनियमितता मिली है। निकायों और प्राधिकरणों में 8170 करोड़ रुपए की अनियमितता पाई गई है।
इसी तरह, बिजली विभाग में 36.22 करोड़ रुपए की अनियमितता है। चिकित्सा शिक्षा विभाग में 746.22 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। अकेले विकास प्राधिकरण में 3362 करोड़ रुपए की अनियमितता पाई गई है।
हर विभाग को सालाना आय-व्यय की रिपोर्ट जमा करनी होती है
हर साल किसी भी संस्थान, उपक्रम और कंपनी के लिए सालाना रिपोर्ट दाखिल करना अनिवार्य है। इससे उनकी वित्तीय सेहत की जानकारी मिलती है। रिपोर्ट से पता चलता है कि उनकी आय-व्यय कितना रहा। कितना लोन लिया है। कितना लोन अदा किया है। बैंकों की ग्रेडिंग क्या है? संस्थान के पास कितनी संपत्ति है। कितनी संपत्ति बेची है। लेकिन, इतनी महत्वपूर्ण रिपोर्ट भी 43 सरकारी उद्यमों ने जमा करना उचित नहीं समझा।
राज्य हथकरघा निगम ने 21 सालों से रिपोर्ट नहीं सौंपी
रिपोर्ट न सौंपने वाले में शीर्ष पर राज्य हथकरघा निगम है, जिसने वर्ष 2001 के बाद से आज तक कुल 21 सालाना रिपोर्ट सरकार को नहीं दी। दूसरे नंबर पर वक्फ विकास निगम है, जिसने 2003 के बाद से अब तक रिपोर्ट नहीं दी। विभाग के ऊपर कुल 18 रिपोर्ट बकाया हैं। अल्पसंख्यक वित्त और विकास निगम कुल 16 रिपोर्ट दाखिल न करने के साथ तीसरे नंबर पर है। लखनऊ सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज और हस्तशिल्प एवं विकास विपणन निगम लिमिटेड ने 13 साल से अपनी रिपोर्ट नहीं दी।