प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 दिन के दौरे पर फ्रांस पहुंच गए हैं। यहां पेरिस के जिस होटल वो ठहरेंगे, उसके बाहर भारतीय मूल के लोगों ने भारत माता की जय के नारों के साथ PM मोदी का स्वागत किया। इससे पहले शाम करीब 4 बजे प्रधानमंत्री एलिजाबेथ बॉर्न ने मोदी को एयरपोर्ट पर रिसीव किया। यहां रेड कार्पेट बिछाकर उनका स्वागत किया गया। एयरपोर्ट पर उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया।
PM मोदी को फ्रांस के नेशनल डे यानी बैस्टिल डे पर बतौर चीफ गेस्ट इनवाइट किया गया है। दूसरी तरफ, डिफेंस काउंसिल ने भारतीय नौसेना के लिए 26 राफेल-M लड़ाकू विमान खरीदने के प्रपोजल को मंजूरी दे दी है। इसके अलावा नेवी 3 स्कॉर्पीन क्लास सबमरीन भी खरीदेगी।
भारत-फ्रांस की स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप के 25 साल पूरे
PM मोदी का ये दौरा ऐसे वक्त पर हो रहा है, जब भारत-फ्रांस की स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप को 25 साल पूरे हो गए हैं। मोदी से पहले 2009 में मनमोहन सिंह भारत के पहले ऐसे प्रधानमंत्री बने थे, जिन्हें बैस्टिल डे में चीफ गेस्ट के तौर पर न्योता मिला था।
राष्ट्रपति मैक्रों होस्ट करेंगे प्राइवेट डिनर
फ्रांस पहुंचे PM मोदी वहां की प्रधानमंत्री एलिजाबेथ बॉर्न से मुलाकात करेंगे। वो पेरिस के ला सीएन म्यूजिकले में प्रवासी भारतीयों को भी संबोधित करेंगे। ला सीएन म्यूजिकाले में फिलहाल इंडियन एम्बेसी और मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर फेस्टिवल ऑफ इंडिया, ‘नमस्ते फ्रांस’ को होस्ट कर रहा है।
इसके बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों मोदी के लिए अपने ऑफिशियल हाउस एलसी पैलेस में प्राइवेट डिनर होस्ट करेंगे। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय बातचीत भी होगी।
INS विक्रांत को मिलेंगे 26 राफेल लड़ाकू विमान, 3 स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बी डील संभव
डिफेंस सेक्टर के लिहाज से PM मोदी की इस यात्रा को बेहद खास माना जा रहा है। इस दौरान भारत और फ्रांस के बीच राफेल M लड़ाकू विमान को लेकर डील होने की संभावना है। भारत अपनी नौसेना के लिए फ्रांस से 26 राफेल-M यानी मैरीटाइम लड़ाकू विमान खरीदने जा रहा है। ये विमान 5.5 अरब डॉलर (45 हजार करोड़ रुपए) में मिलेंगे। इसके साथ ही 3 स्कॉर्पीन क्लास की पनडुब्बी की डील भी हो सकती है।
ये राफेल का समुद्री वर्जन होगा, जो INS विक्रांत और विक्रमादित्य के लिए आ रहा है। इसके लिए INS विक्रांत के समुद्री परीक्षण भी शुरू हो चुके हैं। उसके डैक से फाइटर ऑपरेशन परखे जाने बाकी हैं। सौदे पर मुहर लगने के कम से कम एक साल तक तकनीकी और लागत संबंधी औपचारिकताएं पूरी होंगी।
एक्सपर्ट का कहना है कि नौसेना के लिए रफाल इसलिए भी उपयुक्त है, क्योंकि वायुसेना रफाल के रखरखाव से जुड़ा इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार कर चुकी है। रफाल एम की पहली खेप आने में 3 साल लग सकते हैं। वायु सेना के लिए 36 रफाल का सौदा 2016 में हुआ था और डिलीवरी पूरी होने में 7 साल लग गए थे।