अतीक-अशरफ मर्डर केस की सुनवाई 14 जुलाई के लिए टली

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(www.arya-tv.com) सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को बहन आयशा नूरी की याचिका पर माफिया अतीक-अशरफ मर्डर केस की सुनवाई 14 जुलाई के लिए टाल दी गई है। आयशा नूरी खुद उमेश पाल मर्डर केस में आरोपी है। वह अभी तक फरार चल रही है। उसने प्रयागराज में हुई भाइयों की हत्या के मामले में कोर्ट से निष्पक्ष जांच की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा,”हम इस मामले में किसी व्यक्तिगत मुद्दे को नहीं सुनेंगे। व्यवस्थागत विफलता पर सुनवाई करेंगे।”

रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में गठित कमेटी से जांच की मांग

अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की 15 अप्रैल को पुलिस कस्टडी में काल्विन अस्पताल के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। आयशा नूरी ने इस हत्याकांड पर सवाल उठाएं हैं। उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की है। जिसमें मांग किया गया है कि इस केस की जांच सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता में गठित कमेटी से कराई जाए। इस याचिका में अतीक के तीसरे नंबर के बेटे असद के एनकाउंटर की भी जांच की मांग की गई है।

आयशा ने दोनों भाइयों और भतीजे की हत्या के सरकार को ठहराया जिम्मेदार

आयशा नूरी ने अपने दोनों भाइयों और भतीजे की हत्या के लिए यूपी और केंद्र सरकार दोनों को जिम्मेदार ठहराया है। उसका आरोप है कि सरकार के इशारे पर ये हत्याएं हुई हैं। इस मामले में पुलिस अधिकारियों को यूपी सरकार का पूरा सहयोग मिला है। उसने भाइयों की हत्या के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की है। साथ ही एसटीएफ के मुखिया अमिताभ यश को भी पक्षकार बनाया है।

विशाल तिवारी और अमिताभ ठाकुर ने भी दायर की है याचिका

इस चर्चित हत्याकांड की निष्पक्ष जांच कराने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में विशाल तिवारी ने याचिका दायर की है। जिसमें इस केस की उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के एक रिटायर जज की अध्यक्षता में इस केस की सुनवाई की जानी चाहिए। इसके लिए स्वतंत्र समिति गठित की जाए।

इसके अलावा पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने भी लेटर पिटीशन दाखिल की है। अमिताभ ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच कराने की मांग की है। उन्होंने लेटर पिटीशन में कहा है कि ‘भले ही अतीक अहमद और उसका भाई अपराधी हों, मगर जिस तरह से उनकी हत्या हुई, उससे इस घटना के राज्य पोषित होने की पर्याप्त संभावना दिखती है।’ याचिका में योगी सरकार में अभी तक कुल 183 एनकाउंटर पर भी सवाल उठाए गए हैं, जिसे यूपी पुलिस ने खुद स्वीकार किया है।

उधर, उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर कहा है कि इस मसले पर बिना सरकार का पक्ष सुने कोई भी फैसला न दिया जाए।