फेस्टिव सीजन शुरू हो गया है। ऐसे में लोग नया घर, कार, ज्वेलरी और अन्य जरूरत का सामान खरीदने लगते हैं। अगर आपने भी इस तरह का मन बनाया है और इसके लिए आप लोन लेने का विचार कर रहे हैं, तो इसके लिए आपको कईं बातों का ध्यान रखना होगा। ताकि आप पर लोन की ईएमआई का बोढ कम पड़े।
कैसे कम होगी लोन की ईएमआई
जब भी कोई व्यक्ति होम लोन लेने की सोचता है या फिर उस व्यक्ति का लोन पहले से चल रहा होता है, तो वो हमेशा यह सोचता रहता है कि उसके लोन की ईएमआई में कमी रहे। इसमें ब्याज के अलावा लोन प्रोसेस करने का चार्ज और क्लोजर चार्ज भी शामिल है, जो कि प्रत्येक बैंक में काफी अलग है।
ब्याज दर का करें चुनाव
लोन से पहले सभी तरह का ऑफर का बखूबी अध्ययन करें। इसमें यह देंखे कि कंपनी या फिर बैंक आपको लोन पर ब्याज दर कैसे देगा। अमूमन दो तरह से बैंक और कंपनियां ग्राहकों को लोन पर ब्याज देती हैं। एक एमसीएलआर और दूसरा रेपो रेट से लिंक। भारतीय रिजर्व बैंक ( RBI ) द्वारा रेपो रेट लिंक बेस्ड होम लोन रेट लागू हो गया है। रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट को चुनने से ग्राहकों का ईएमआई केंद्रीय बैंक के मौद्रिक नीतियों पर निर्भर होगा, जिससे उनकी मासिक किस्त में कमी आएगी।
नेट इनकम के अलावा यह भी होना जरूरी
किसी को भी लोन उसकी आमदनी और कर्ज चुकाने की क्षमता के आधार पर मिलता है। होम लोन देने वाले बैंक और लोन की राशि के रूप में ज्यादातर प्रॉपर्टी की 80 फीसदी वैल्यू के बराबर लोन देते हैं। आमदनी को जांचते समय वो आपकी नेट इनकम को नहीं देखते जो पे स्लिप पर लिखी हो बल्कि वो आमदनी देखते हैं जो लोन चुकाने के लिए उपयोग की जाएगी।
सिबिल स्कोर होगा कम तो नहीं मिलेगा लोन
लोन किसी इंसान की क्रेडिट काबिलियत के आधार पर मिलता है। क्रेडिट इनफॉर्मेशन ब्यूरो इंडिया लिमिटेड (सिबिल) आपको 300 से 900 अंकों के बीच एक स्कोर प्रदान करता है। ये इस आधार पर तय होता है कि आपका पहले का क्रेडिट कार्ड उपयोग कितना है, आप अपना बैंक अकाउंट कैसे रखते हैं, कोई चेक तो बाउंस नहीं हुआ है, मौजूदा लोन, बिना इंश्योरेंस के मौजूदा लोन, लोन के रीपेमेंट और आपने कितनी बार लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन दिया है। जिन लोगों को सिबिल स्कोर 700 से ज्यादा होता है उन्हें लोन आसानी से मिल जाता है।
लोन की अवधि
लोन की राशि, ब्याज दर और इसकी कुल अवधि के आधार पर ईएमआई तय होती है। ईएमआई लोन अवधि के विपरीत संबंध में होती है। जैसे जितनी ज्यादा लोन की अवधि होगी उतनी ही कम ईएमआई होगी और जितनी कम लोन अवधि होगी, उतनी महंगी ईएमआई होगी। इसी तरह कुल ब्याज दर भी लोन की अवधि के आधार पर तय किया जाता है। जितनी ज्यादा लोन अवधि होगी उतनी ही ऊंची ब्याज दर होगी और जितनी कम लोन अवधि होगी उतनी ही कम ब्याज दर होगी। बैलेंस लोन किसी दूसरे बैंक में ट्रांसफर कराने से भी आपकी ईएमआई में कमी आ सकती है।
नए लोन ग्राहक अपनाएं ये तरीके
नए लोन ग्राहकों को यह जानना बेहद जरूरी है कि कहां से उनको लोन सस्ता मिल सकता है। सबसे पहले यह जान लें कि लोन लेना हमेशा जोखिम भरा कदम होता है। इसलिए कभी भी लोन लेना हो तो आंख बंद करके न लें। ऐसा करने से आप आगे चलकर मुश्किलों में फंस सकते हैं। आपके पास लोन को बाद में चुकाने के लिए एक अलग से प्लान होना चाहिए, जिससे भविष्य में किसी तरह की दिक्कत न हो। हम आपको ऐसे कुछ टिप्स दे रहे हैं, जिनसे लोन लेने से पहले आपको जानना बेहद जरूरी है।
