लखनऊ(राहुल तिवारी )। प्रदेश में लगातार बढ़ रही अपराधिक घटनाओं को लेकर जहां प्रदेश की योगी सरकार को विपक्ष चौतरफा घेरने में लगा हुआ है वहीं अफसर भी कानून व्यवस्था को दुरुस्त रख पाने में काफी असफल दिखाई पड़ रहे हैं, लेकिन उसके बावजूद भी सरकार की ओर से इन अफसरों पर लगातार मेहरबानी बनी हुई है। यही कारण है कि लापरवाह अधिकारी कानून व्यवस्था चलाने में नाकामयाब दिखाई पड़ रहे हैं चाहे वह उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की कानून व्यवस्था हो या फिर प्रदेश के किसी भी जिले की। इससे पूर्व लखनऊ में हत्याओं का सितम्बर रहा लेकिन अक्टूबर के दूसरे सप्ताह की शुरुआत भी हत्याओं और लूट से शुरू हुई।
हम बात कर रहे हैं यूपी के सहारनपुर, अलीगढ़,मऊ जिले की जहां सहारनपुर के देव बंद में एक भाजपा नेता की दिन दहाड़े बेखौफ बदमाशों ने हत्या कर दी वहीं दूसरी ओर अलीगढ़ में पिता और पुत्र की तो तीसरी ओर मऊ जिले में शिक्षिका व 14 वर्षीय पुत्र हर्षित की बेखौफ बदमाशों ने घर में घुस कर मौत के घाट उतार दिया लेकिन उसके बावजूद पुलिस महकमें के बड़े अफसर सरकार के आगे कानून व्यवस्था को दुरुस्त रखने का ढिंढोरा पीट रहे हैं और सरकार भी इन अफसरों पर काफी मेहरबान है पुलिस महकमे में बैठे कुछ बड़े अफसरों की चाटूकारिता के चलते व कानाफूसी के चलते अपराध नियंत्रण व कानून व्यवस्था को दुरुस्त रखने वाले अफसरों को लखनऊ से काफी दूर भेज दिया गया और पूर्ववर्ती सरकार के चहेते कुछ पुलिस के अफसरों को लखनऊ में तैनाती कर दी गई जो आज ईमानदार यशस्वी सन्यासी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार के लिए अभिशाप बनें हुए हैं और लगातार सरकार की किरकिरी कराने में अमादा है।
वहीं बस्ती में पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष एवं बीजेपी नेता कबीर तिवारी की दिनदहाड़े बुधवार को बेखौफ बदमाशों ने हत्या कर मौत के घाट उतार दिया। वहीं झांसी में एक एनकाउंटर पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं। यूपी में मानों अपराध की बाढ़ सी आ गई है जबकि कानून व्यवस्था को मुख्य मुद्दा बताकर भारतीय जनता पार्टी की सरकार उत्तर प्रदेश में आयी थी लेकिन उसके बावजूद यूपी में मानों अपराध थमने का नाम ही नहीं ले रहा है जिसका सबसे बड़ा कारण है पुलिस महकमे के बड़े अफसरों पर सरकार द्वारा कोई कार्रवाई न किया जाना जबकि सरकार बनने के बाद से आज तक अपराध व अपराधी काफी बेलगाम हो चुके हैं।