सितंबर की घटनाओं के बाद पुलिस के इन दो अफसरों को याद कर रहा लखनऊ

## Lucknow UP

लखनऊ। सितंबर महीने का आज आखिरी दिन है। इस महीने राजधानी में अपराधियों का बोलबाला रहा। 22 दिन में 12 गोलीकांड हुए जिसमें 4 लोगों की हत्या कर दी गई। खुद पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को ट्वीट कर यूपी में कानून व्यवस्था पर सवाल उठाना पड़ा।

राजधानी में लगातार बढ़ रही घटनाओं से कलानिधि नैथानी के कार्यकौशल पर सवाल खड़े हो रहे हैं। योगी सरकार की लगातार किरकिरी हो रही है। लखनऊवासी खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। वहीं साल 2018 की बात करें तो राजधानी में दों बड़े पुलिस अफसरों की जोड़ी ने अपराधियों को नाकों चनें चबवा दिए थे।

हम बात कर रहे हैं। योगी सरकार के तेज तर्रार छवि से पहचान बनाने वाले पुलिस के वो दो बड़े अफसर जिन्होंने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रहने के दौरान तमाम ऐसी बड़ी से बड़ी घटनाओं का खुलासा करते हुए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की किरकिरी होने से तमाम बार बचाया। इनमें से एक अफसर का नाम है सुजीत पांडे और दूसरे अफसर का नाम है दीपक कुमार। राजधानी में आईजी रेंज लखनऊ रहने के दौरान सुजीत पांडे ने तमाम बड़ी से बड़ी घटनाओं का वर्क आउट कर सरकार की किरकिरी होने से बचाया था। वह चाहे राजभवन के पास हत्या और लूट के सनसनीखेज मामले का खुलासा खुलासा हो या फिर लखनऊ यूनिवर्सिटी में हुए उपद्रव का मामला हो।

वहीं एसएसपी रहने के दौरान दीपक कुमार ने अपराध को काफी हद तक रोका। आईजी सुजीत पांडे व दीपक कुमार की कार्यशैली को लेकर जहां राजधानी के आम जनमानस में काफी खुशी थी वहीं पुलिस महकमे में भी लोग इन दोनों अफसरों को इमानदार छवि वाले अफसरों के रूप में देखा जाता था। इन दोनों अफसरों ने न तो किसी की चाटूकारिता की न किसी की सुनी जिसके चलते शाशन के कुछ नुमाइंदों ने इन दोनों अफसरों को लखनऊ से बाहर का रास्ता दिखा दिया।

इनके जाने के बाद राजधानी की कानून व्यवस्था बनने के बजाए और बद्तर हो गई राजधानी में २२ दिन में 4 हत्याओं ने सरकार की किरकिरी करा दी, लेकिन डीजीपी साहब ने फिर वही समीक्षा बैठक कर हर बार की तरह अपना पल्ला झाड़ लिया, लेकिन वहीं अपर पुलिस महानिदेशक प्रयागराज जोन व डीआईजी चित्रकुट दीपक कुमार ने अपनी तेज तर्रार छवि की मिसाल एक बार फिर चित्रकूट में एक लाख रुपए का ईनामी कोल गैंग का सफाया कर मुख्य ईनामी बदमाश को गिरफ्तार कर योगी सरकार का सिर एक बार फिर फक्र से ऊंचा किया। वहीं सुजीत पांडे ने कौशांबी में दलित बेटी के साथ दरिंदगी करने वाले सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर फास्ट्र ट्रैक कोर्ट में पेश किया।

ऐसे जबाज अफसरों को शाशन ने इतनी दूर भेज दिया और राजधानी में रसूखदार पुलिस के अफसरों को तैनात किया जिसका खामियाजा सितंबर का महीना सामने है।

राजधानी में चाटूकारिता की दम पर विराजमान पुलिस के ऐसे अफसरों से न तो यहां की कानून व्यवस्था ही सम्भल पा रही है और न जनता के बीच पुलिस का विश्वास बन पा रहा है।

राजधानी के थानों में लम्बे समय से जमें दरोगा व सिपाही सिर्फ धन उगाही का काम कर जनता को प्रताड़ित करने का काम कर रहे हैं जिससे सरकार की लगातार किरकिरी हो रही है और और जनता के बीच काम करने वाले सिपाही एक साल बीत जाने के बाद भी लखनऊ की पुलिस लाइन में पड़े हैं।

सुजीत पांडे ने किए थे ये खुलासे
सुजीत पांडे जी ने आईजी रेंज लखनऊ रहने के दौरान बड़ी से बड़ी घटनाओं का खुलासा किया जिनमें नरही से व्यपारी के अपहृत पुत्र को सीतापुर के जंगल में सकुशल बरामद ​कराया। मड़ियांव में छात्रा के हत्यारों को दो दिन के अंदर गिरफ्तार कराया। इतना ही नहीं चर्चित एप्पल कंपनी के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी हत्याकाण्ड मामले में एसआईटी टीम का गठन किया और खुलासा करते हुए दोषियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया। राजभवन के सामने कैश वैन लूट हत्या काण्ड का खुलासा एक सप्ताह के भीतर खुलासा कर सरकार की किरकिरी होने से बचा लिया।

पुलिसकर्मियों में था दीपक कुमार का डर
लखनऊ में बतौर कप्तान बनकर जब दीपक कुमार आए तो पुलिसकर्मियों को डर सताने लगा था। दरअसल उन्होंने 200 चेतक चीता मोबाइल पुलिसकर्मियों को देर रात 12:30 बजे गोमतीनगर के 1090 चौराहे पर इकट्ठा होने का निर्देश दिया था, लेकिन कई पुलिसकर्मी 2 बजे तक भी नहीं पहुंच पाए। इस पर सिंघम की तरह दीपक कुमार पुलिसकर्मियों पर बरस पड़े थे। उन्होंने कहा था कि लखनऊ के पुलिस स्टेशन प्रॉपर्टी डीलिंग का अड्डा बन गए हैं। आपसे अच्छी तो सीतापुर की पुलिस है, जबकि आपको समय पर सैलरी मिलती है और ज्यादा मिलती है। बावजूद इसके आप घूस लेते हैं। उन्होंने सख्त हिदायत दी थी कि अगर किसी भी थाने में धन उगाही की खबर आई तो उसे तुरंत सस्पेंड किया जाएगा।