BRD के डॉक्टरों ने मासूम को दी नई जिंदगी:रीढ़ की हड्डी की नसें गुच्छा बनकर बाहर आ गई थीं

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(www.arya-tv.com) गोरखपुर में एक 6 साल की बच्ची को BRD मेडिकल कालेज के डाक्टरों ने नई जिंदगी दी है। वह वह जन्म से से ही ‘लुंबोसैक्रल मेनिंगोमाइलोकोल टेथर्ड विद कार्ड’ से जूझ रही थी। उसकी रीढ़ की हड्डी की नसें गुच्छा बनकर रीढ़ से बाहर आ गई थी, जिसकी वजह से कमर पर एक किलोग्राम की गांठ हो गई थी।

साथ ही नसें रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से से सट गई थीं। उसके पैरों में ताकत और मूवमेंट खत्म हो गई थी। न ही वह चल नहीं पाती थी और न ही उसे चोट लगने पर कोई एहसास होता था। लेकिन, अब आपरेशन के बाद बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है। धीरे-धीरे उसके पैरों में ताकत लौट रही है। बच्ची सहजनवा की रहने वाली है।

BRD पहुंचे तो मिला इलाज
बच्ची के परिवार के लोगों ने उसका कई जगहों पर इलाज कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं मिला। आपरेशन के लिए कोई डाक्टर तैयार नहीं होता था। इसके बाद वे बच्ची को लेकर BRD मेडिकल कालेज के सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक पहुंचे। न्यूरो सर्जन डा. नवनीत काला ने जांच की तो बीमारी और उसकी जटिलता पता चली। आपरेशन मुश्किल था और फायदा होने की संभावना बहुत ज्यादा नहीं थी, लेकिन परिवार की सहमति लेकर उन्होंने अपनी टीम के साथ आपरेशन किया, जो 5 घंटे चला।

एक लाख में एक बच्चे को होती है बीमारी
डा. नवनीत काला ने बताया, ”यह बीमारी बहुत जटिल है और एक लाख बच्चों में किसी एक को होती है। इसके पहले उन्होंने इस तरह का आपरेशन किंग जार्ज मेडिकल कालेज लखनऊ में किया था। BRD में यह अपनी तरह का पहला आपरेशन था। प्राइवेट अस्पतालों में इस आपरेशन में लगभग 4.50 लाख रुपये खर्च होते हैं। यहां उसका उपचार मात्र 40 हजार रुपये में हो गया।

BRD में अब बढ़ गई हैं सुविधाएं
वहीं, BRD मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. गणेश कुमार ने बताया, ”मेडिकल कालेज में अब कई सुविधाएं बढ़ गई हैं। सुपर स्पेशियलिटी में जटिल आपरेशन होने लगे हैं। गंभीर रोगियों को अब लखनऊ या दिल्ली जाने की जरूरत नहीं है। उनका यहीं उपचार हो जाएगा।”

15 साल से नहीं खुल रहा मुंह, AIIMS में हुआ ऑपरेशन
गोरखपुर AIIMS में दंत रोग विभाग ने एक जटिल सर्जरी कर मरीज की जान बचाई है। मरीज 15 साल से मुंह न खुलने और नींद में थोड़ी-थोड़ी देर में सांस रुकने की समस्या से ग्रसित था। कई डॉक्टरों को दिखाने के बाद राहत नहीं मिली तो AIIMS में आकर दिखाया। जांच के बाद डॉक्टरों ने ऑपरेशन का फैसला लिया है। ऑपरेशन के बाद मरीज एकदम स्वस्थ्य है।

शहर के रहने वाले एक 20 साल के युवक का 15 साल से मुंह नहीं खुल रहा था। इसकी वजह से नींद में थोड़ी-थोड़ी देर के लिए सांस रुक जाती थी। परिजन पांच वर्ष से काफी डॉक्टरों को दिखाए, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। इस बीच AIIMS के दंत रोग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर एवं मैक्सिलोफेशियल सर्जन डॉ. शैलेश कुमार को दिखाया। मरीज की जांच और स्कैन के बाद ये पता चला की मरीज एक जटील किस्म की बीमारी से ग्रसित है।

जबड़े की हड्डी से जुड़ गई थी खोपड़ी की हड्डी
मरीज के खोपड़ी की हड्डी निचले जबड़े की हड्डी से पूरी तरह से जुड़ गई थी। इसकी वजह से पिछले 15 साल से मरीज मुंह न खुलने की वजह से सिर्फ तरल खाने पर निर्भर था, जिसके कारण मरीज का स्वास्थ्य भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा था। AIIMS निदेशक डॉ. सुरेखा किशोर को विभाग ने जानकारी दी। इस पर उन्होंने मरीज का ऑपरेशन करने का निर्देश दिया।

बेहोश करना हो रहा था मुश्किल
डॉ. शैलेष ने बताया कि ऐसे मरीजों को बेहोश करने की प्रक्रिया काफी ‌कठिन होती है। लेकिन, एनेस्थीसिया की डॉ अंकिता काबी, डॉ प्रियंका एवं डॉ विजिता ने मरीज को बेहोश करने में विशेष भूमिका निभाई। इसके बाद पांच घंटे तक सर्जरी चली। सर्जरी पूरी तरह से सफल रही। इस पर एम्स निदेशक ने डॉ. शैलेश कुमार और उनकी टीम को सफल ऑपरेशन के लिए बधाई दी है।

निदेशक ने बताया कि इस तरह का पहला ऑपरेशन AIIMS में हुआ है। अब तक इस तरह के ऑपरेशन के लिए मरीजों को दिल्ली और लखनऊ जाना पड़ता था, लेकिन अब ऐसा ऑपरेशन एम्स गोरखपुर में भी हो सकेगा।