(www.arya-tv.com) प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए अब स्वास्थ्य विभाग सचेत हो गया है। इसे लेकर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक (प्रशासन) डी राजा ने प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य को एक पत्र लिखा है। इसमें अस्पतालों में फैले भ्रष्टाचार को खत्म करने को चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की नियुक्ति एवं तबादले के अधिकार उन्हें दिए गए हैं। इस पत्र के जारी होते ही प्रदेश भर के मेडिकल कॉलेजों द्वारा संचालित अस्पतालों में नये सिरे से जांच होने और बदलाव की चर्चा जोरों पर है।
अब निदेशक करेंगे तबादले
चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को अपने तबादले के लिए अब अधिकारियों के आगे-पीछे भागना नहीं पड़ेगा। उनका सीधे स्थानांतरण चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक करेंगे। इससे काफी हद तक भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा। शासन से जारी किये गये पत्र में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार की शिकायत वाले मेडिकल कॉलेज और उनके विवादों का जिक्र भी किया गया है।
चर्चा है कि बहुत जल्द चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्ति और स्थानांतरण को लेकर भ्रष्टाचार के कई नये मामले सामने आ सकते हैं। जल्द ही कानपुर मेडिकल कॉलेज के कई भ्रष्टाचारियों की फाइलें खुलने कि बात भी सामने आ रही है। बता दें कि कानपुर मेडिकल कॉलेज में मृतक आश्रित भर्ती में बड़े घोटालें की बातें अक्सर सामने आती रही है। विभागीय लोगों का कहना है कि पूर्व में यहां बिना निदेशक प्रशासन की अनुमति के कई पद भर लिए गए थे।
कई मेडिकल कॉलेज प्राचार्य है जांच के दायरे में
राज्य के कई मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्त और स्थानांतरण के मामले कोर्ट में भी चल रहे हैं। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग में सबसे ज्यादा शिकायतें हैं इन्हीं मामलों में सामने भी आई है। मलाईदार पदों पर प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक की कुर्सी पर कई बार भ्रष्टाचारियों की ताजपोशी होती रही है। पिछले कुछ वर्षों में मुख्यमंत्री ने कई मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य और कार्यवाहक प्राचार्य सख्त एक्शन लिया है।
शासन से जारी पत्र में चार मेडिकल कॉलेज का हुआ है जिक्र
शासन से जारी किए गए पत्र में प्रदेश के 4 मेडिकल कॉलेजों के विवादों को दिखाया गया है। जिसमें फर्जी नियुक्तियों से लेकर बैकलॉग में पद भरे जाने पर का जिक्र किया गया है। जिसमें पत्र में सबसे पहले मुख्य चिकित्सा अधिकारी बलिया के 152 कर्मियों की फर्जी नियुक्ति का मामला बताया गया है। इसी तरह मेरठ के जिला चिकित्सालय में प्रमुख अधीक्षक पीएल शर्मा भर्तियों का मामला सामने सामने आया है।
यह मामला हाई कोर्ट लखनऊ बेंच में चल रहा है। इसी तरह मुख्य चिकित्सा अधिकारी मिर्जापुर द्वारा 64 चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की फर्जी भर्ती का मामला भी सामने आया था। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक अंबेडकरनगर में भी 62 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की फर्जी नियुक्ति हो चुकी है। इन सभी प्रकरणों के बाद शासन स्तर पर अब सख्ती करने का निर्णय लिया गया है।
कानपुर में भी कई लोगों को बना दिया था क्लर्क
हैलट अस्पताल में भी मेडिकल कॉलेज के एक पूर्व प्राचार्य द्वारा बैकलॉग और बिना निदेशक प्रशासन की अनुमति के कई लोगों को क्लर्क बनाने का मामला सुर्खियों में रह चुका है । इस भ्रष्टाचार का खामियाजा भी निदेशक प्रशासन को न्यायालय में जाकर चुकाना पड़ा है। अब यूपी के अस्पतालों में जो कमान चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की तैनाती की प्रधानाचार्य या प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक के अधीन होती थी, वह सभी जल्द समाप्त हो जाएंगी।