फायर सेफ्टी के लिए तैयार हो रहा नए अधिनियम का मसौदा

# ## Lucknow

(www.arya-tv.com) लखनऊ के होटल लेवाना अग्निकांड में हुई चार मौतों की घटना से कानून में बदलाव की कवायद शुरू हो गई। ऐसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार बिल्डिंग मालिकों पर शिकंजा कसने और लापरवाहियों को रोकने के लिए केंद्र सरकार के मॉडल फायर सर्विस बिल को लागू करने का मसौदा तैयार हो रहा है। इसके लागू होने के बाद प्रदेश की बड़ी इमारतों से लेकर वो छोटे भवन तक इसके दायरे में आ जाएंगे जो अभी तक इस कानून की जद से बाहर थे।

आग से सुरक्षा के लिए 2005 में यूपी फायर सेफ्टी एक्ट बनाया गया था। इस एक्ट में भवन स्वामियों की बजाय फायर ब्रिगेड की ज्यादा जिम्मेदारी तय की गई। हैराइज बिल्डिंग्स का चलन आने के बाद 2015 में अधिनियम में संशोधन किया गया, लेकिन इसमें भी बिल्डिंग मालिकों की कोई खास जिम्मेदारी नहीं तय की गई। इसका फायदा उठाकर प्राधिकरण और दूसरी एजेंसियां बिल्डिंग खड़ी करने की इजाजत देते रहे और बिल्डर अपनी सुविधा के मुताबिक निर्माण करके लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करते रहे। नतीजन होटल लेवाना जैसी घटना सामने आई। इस घटना के बाद केंद्र सरकार के मॉडल फायर सेफ्टी बिल 2019 को प्रदेश में लागू करने की कवायद शुरू हो गई। फायर सर्विस डिपार्टमेंट इस बिल को अधिनियम का रूप देने इसकी ड्राफ्टिंग कर रहा है।

सीएफओ स्तर के फायर सेफ्टी ऑफिसर की रहेगी तैनाती

DIG फायर सर्विस आकाश कुलहरी ने बताया की एक्ट की ड्राफ्टिंग लगभग पूरी हो चुकी है। इसमें प्राविधान किया गया है की व्यवसायिक गतिविधियों वाले भवनों में फायर सेफ्टी ऑफिसर की पोस्टिंग करनी होगी। यह ऑफिसर जिले के CFO या FSO लेवल की ट्रेनिंग लेने के बाद ही तैनात होंगे। पोस्टिंग के लिए फायर सर्विस इनका टेस्ट लेकर अप्रूवल देगा। इसका खर्च बिल्डिंग मालिकों को उठना होगा। DIG ने बताया की आग लगने की सूरत में फायर सेफ्टी ऑफिसर के पास फ्लोर प्लान, मास्टर चाभी व लोगों को सकुशल बाहर निकालने की क्षमता होगी। अगर संस्थान 30 दिन के अंदर फायर सेफ्टी ऑफिसर नही नियुक्त करता है तो भारी जुर्माना लगाया जाएगा।

आपात कालीन सेवाओं में शामिल होगा फायर ब्रिगेड

यूपी में फायर ब्रिगेड अभी तक एक रेस्क्यू ऑपरेशन टीम की हैसियत से काम कर रही है। लेकिन नए बिल के लागू होने के बाद यह यूपी पुलिस की 112 सेवा की तरह आपात कालीन सेवाओं में शामिल हो जायेगी। अभी तक किसी बिल्डिंग में आग लगने पर जिम्मेदारों के खिलाफ IPC के तहत मुकदमा दर्ज होता है। लेकिन इस कानून में फायर सेफ्टी एक्ट के तहत ही मुकदमा दर्ज करने और विवेचना में फायर सर्विस के हस्तक्षेप की व्यवस्था की गई है। बिल्डिंग मालिक की लापरवाही से होने वाले जनमाल के नुकसान की भरपाई और मुआवजा भी उसी से वसूला जाएगा।

ऑडिट रिपोर्ट के बिना नही मिलेगी फायर की NOC

होटल लेवाना जैसी घटना के बाद जिम्मेदारी तय करने के लिए NOC की जांच शुरू होती है। इसी अनापत्ति प्रमाणपत्र को आधार बनाकर जिम्मेदारों के खिलाफ करवाई होती है। इसलिए नए कानून में NOC की प्रक्रिया को जटिल किया जा रहा है। बिल्डिंग खड़ी होने के बाद भवन स्वामी को किसी निजी एजेंसी से इसकी फायर सेफ्टी ऑडिट करवानी होगी। इसमें सुरक्षा के सभी मानक पूरे होने के बाद ही उसे NOC दी जाएगी। NOC मिलने के बाद उसे साल में दो बार सेफ्टी ऑडिट करानी होगी। NOC रिन्यूअल के लिए बिल्डिंग मालिक को तीन साल की ऑडिट रिपोर्ट दिखानी होगी।

थर्ड पार्टी एग्रीमेंट कर सकेगा फायर सर्विस डिपार्टमेंट

यूपी फायर सर्विस डिपार्टमेंट ट्रेनिंग से लेकर फायर फाइटिंग तक के लिए पुराने अधिनियम के प्राविधानों पर निर्भर है। इसमें किसी दूसरी एजेंसी से मदद के लिए शासन से अनुमति लेनी होती है। लेकिन नया कानून लागू होने पर विभाग थर्ड पार्टी एग्रीमेंट कर सकेगा। मसलन प्रशिक्षण के लिए NDRF जैसी सरकारी या किसी निजी एजेंसी से समझौता करने का अधिकार उसके पास होगा। अभी तक प्रचलित कानून में भवनों में फायर सेफ्टी की जांच और उसे पुख्ता कराने की जिम्मेदारी फायर सर्विस डिपार्टमेंट की है। लेकिन अब यह जिम्मेदारी खुद भवन स्वामी को उठानी पड़ेगी।