(www.arya-tv.com)लखनऊ के लेवाना होटल में आग लगने से 4 लोगों की जान चली गई। हादसे के बाद सरकार ने अवैध तरीके से बनाए गए लग्जरी होटल को गिराने के आदेश दे दिए हैं। होटल मालिक राहुल और रोहित अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया गया है। कमिश्नर रोशन जैकब ने बताया कि 10 साल से चल रहे लेवाना होटल को आवासीय कॉलोनी की जगह पर बिना नक्शा पास कराए बनाया गया। अब इस पर बुलडोजर चलाने की कार्रवाई होगी।
घटना की जांच कर रही पुलिस की थ्योरी में 2 बड़े खुलासे हुए।
पहला: होटल लेवाना सुइट्स का निर्माण जिस इलाके में किया गया, वह LDA महायोजना में आवासीय क्षेत्र के तौर पर दर्ज है।
दूसरा: होटल में अग्निशमन विभाग के सभी नियमों को दरकिनार कर लोगों को ठहराया जा रहा था।
नक्शा पास कराने वाली फाइल में ये 15 चीजें होनी चाहिए
1. फार्म ए विद एप्लिकेशन
2. फार्म बी उसारी के बारे स्पेसिफिकेशन
3. नेशनल बिल्डिंग आर्गनाइजेशन फार्म
4. राइट टू सर्विस एक्ट फार्म
5. मलकियत सबूत रजिस्ट्री/फर्द
6. हलफिया बयान तसदीकशुदा /स्व घोषणा (अर्बन लैंड सीलिंग / रेगुलेशन एक्ट 1976)
7. इंडेमिटी बॉन्ड (फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट के पास से तसदीकशुदा)
8. प्रॉपर्टी से जुड़ी किसी किस्म के झगड़े बारे हलफिया बयान/ स्व घोषणा
9. क्या प्लॉट किसी टीपी स्कीम/विकास स्कीम/ री-रिहेब्लिटेशन स्कीम या किसी और स्कीम का हिस्सा है, अगर हां तो क्या प्लाट शेप और साइज स्कीम अनुसार है और क्या प्लाट सब-डिवाइडेड है, अगर हां तो क्या उसकी मंजूरी ली है?
10. अगर नक्शा गैर रिहायशी है तो क्या प्लाट की कैटेगरी तब्दीली की प्रवानगी हुई है, अगर हां तो दस्तावेज साथ लगाए।
11. अगर बेसमेंट की तजवीज है तो उससे जुड़ा एैडमिनटी बॉन्ड।
12. स्ट्रक्चर सेफ्टी सर्टिफिकेट/स्ट्रक्चर डिजाइन।
13. अगर प्लाट अवैध कालोनी में पड़ता हैं तो उस संबंधी रेगुलाइजेशन सर्टिफिकेट।
14. अगर तजवीजी नक्शा 200 वर्ग गज से ज्यादा प्लाट रकबे का है तो रेनवॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम किया जाए।
15. फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट। ये रिहायशी और दूसरी बिल्डिंग के लिए जरूरी है।
फीस: बहु मंजिला बिल्डिंग बनाने के लिए लखनऊ विकास प्राधिकरण यानी LDA 50 रुपए प्रति वर्ग फुट के हिसाब से शुल्क वसूलता है।
नक्शा पास कराने के लिए LDA सबसे पहले मांगता है प्राइमरी फायर NOC
होटल का नक्शा पास करने के लिए LDA सबसे पहले फायर की प्राइमरी NOC मांगता है। होटल बनने के बाद अग्निशमन विभाग की परमिशन ली जाती है। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद LDA बिल्डिंग का कम्प्लीशन सर्टिफिकेट जारी करता है। इसका अलावा 2 बातों पर गौर करना जरूरी है। पहली: होटल में बहुमंजिला है, तो उसमें हर मंजिल पर इमरजेंसी गेट होना जरूरी है। दूसरी: होटल बनाने के लिए भूउपयोग परिवर्तन, प्रभाव शुल्क नहीं लगता है।
होटल बनाने के लिए 5 लाइसेंस होने जरूरी
होटल बनाने से पहले 5 तरह के लाइसेंस लेना जरूरी होता है। इसमें अगर लॉजिंग से साथ फूडिंग की भी सुविधा दी जा रही है, तो अलग से भारतीय खाद्य सुरक्षा और सुरक्षा प्राधिकरण FSSAI से लेकर अग्निशमन विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से लाइसेंस लेना कानूनन जरूरी होता है। भारत में होटल चलाने के लिए ये लाइसेंस जरूरी है…
व्यापार लाइसेंस: ये लाइसेंस आपके क्षेत्र में स्थानीय नागरिक प्राधिकरण के जरिए लिया जाता है।
ईटिंग हाउस लाइसेंस: ये लाइसेंस शहर के लाइसेंसिंग पुलिस आयुक्तों के जरिए लिया जाता है।
खाद्य सुरक्षा लाइसेंस: इस विशेष लाइसेंस को भारतीय खाद्य सुरक्षा और सुरक्षा प्राधिकरण FSSAI से लेना जरूरी है। ये तब लेना जरूरी है, जब होटल में रेस्टोरेंट चलाया जाना हो।
अग्निशमन विभाग का लाइसेंस: ये लाइसेंस अग्निशमन विभाग के जरिए लिया जाता है।
शराब लाइसेंस: अगर आप होटल के भीतर बार खोलना चाहते हैं, तो उस शहर के स्थानीय आबकारी आयुक्त से इस लाइसेंस को लेना जरूरी है।
1000 वर्ग मीटर एरिया में कॉमर्शियल बिल्डिंग बनाने की फीस 3.5 लाख रुपए
साल 2019 से पहले यूपी के अलग-अलग प्राधिकरणों में नक्शा पास करने के लिए फीस भी अलग-अलग ली जाती थी। घर बनाने के लिए पहले आवास विकास परिषद अपनी योजनाओं में अलग फीस लेती थी। लेकिन साल 2019 में शासन ने सभी विकास प्राधिकरणों और आवास विकास परिषद के लिए एक समान शुल्क निर्धारित कर दिया।
लखनऊ विकास प्राधिकरण यानी LDA के अनुसार, 1000 वर्ग मीटर के व्यावसायिक भूखंड का नक्शा पास करने की फीस 3.5 लाख रुपए है।
अगर किसी होटल का निर्माण बिना नक्शा पास कराए किया जाता है। तो विकास प्राधिकरण पहले होटल मालिक को खुद ही संपत्ति नष्ट करने के लिए नोटिस भेजता है। जब नोटिस पर कोई जवाब नहीं मिलता तो, प्राधिकरण खुद जाकर होटल गिरा देता है। प्राधिकरण डिमोलिशन कॉस्ट होटल मालिक से वसूलता है।”
“लखनऊ के लेवाना होटल में अवैध नक्शा पास होने के अलावा 4 मौते भी हुई हैं। ऐसे मामलों में होटल मालिक पर सिविल के साथ क्रिमिनल केस भी बनता है। आरोपी के खिलाफ धारा 302 के तहत कार्रवाई होती है। इसमें उम्रकैद की सजा भी हो सकती है।”
यूपी रेगुलेशन बिल्डिंग ऑपरेशन एक्ट 1958 के प्रावधानों के तहत गैरकानूनी ढंग से बनी बिल्डिंग के मालिक से संपत्ति गिराए जाने के पूरे खर्च के साथ अलग से 50,000 रुपए के जुर्माने की सजा का प्रावधान है।