BHU को किताबें न लौटाने पर 1 लाख का जुर्माना:पूर्व कर्मचारी ने 17 साल से नहीं लौटाए 32 धार्मिक ग्रंथ

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(www.arya-tv.com)  का शी हिंदू विश्वविद्यालय में लाइब्रेरी की किताब वापस न करने पर 1 लाख 2 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है। यह जुर्माना BHU के संस्कृत विद्या धर्मविज्ञान संकाय की लाइब्रेरी में सेमी प्रोफेशनल असिस्टेंट रहे डॉ. वीरेंद्र कुमार मिश्रा पर लगा है।

बात 2005 की है, जब इन्होंने बारी-बारी लाइब्रेरी से कुल 32 धार्मिक ग्रंथ अपने नाम पर इशू कराया था। बीते 17 साल से, उन्होंने ये 32 धार्मिक ग्रंथ संकाय को नहीं लौटाईं, जिसके चलते उन्हें किताबों के साथ ही अब ओवरड्यू चार्ज भी देना पड़ेगा। यह खुलासा एक व्यक्ति द्वारा लगाए गए RTI से हुआ है।32 किताबों में से 9 गुम हो गईं हैं। वहीं डॉ. मिश्रा 22 किताबें लौटाने की बात कह रहे हैं। मगर, फीस देने से बच रहे हैं। वहीं, डीन ने कमेटी गठित कर दी है। BHU के डिप्टी लाइब्रेरियन डॉ. राजेश सिंह ने इस इस कमेटी के सदस्य डॉ. अमरेश कुमार राय को चिट्ठी लिखकर अवगत कराया था कि डाॅ. वीके मिश्रा पर अविलंब कार्रवाई की जाए। उन्हें 23 किताबों का ओवरड्यू चार्ज 1 लाख रुपए से ज्यादा देना है।

क्या कहता है नियम
BHU में सेंट्रल लाइब्रेरी के लाइब्रेरियन प्रोफेसर डीके सिंह ने कहा, नियम के अनुसार, SPA यानी कि सेमी प्रोफेशनल असिस्टेंट रहते केवल दो ही किताबें ही निकाल सकते हैं। किताब इशू कराने के दो महीने बाद से एक रुपए प्रति दिन लेट फी लगाई जाती है।

BHU के एक अधिकारी ने बताया, ”यूनिवर्सिटी के नियमों को मानने के बजाय संकाय अपना नियम चला रहा है। लेट फी वसूली की बात आई, तो एक कमेटी बना दी गई। सबसे जरूरी बात यह कि जब इतनी किताबें निकालीं गईं, तो उस समय गड़बड़ी किससे हुई। किताबों पर लेट फी साल 2005-09 तक 10 पैसे और उसके बाद 1 रुपया प्रति दिन हो गया।”

32 ग्रंथों की सूची में इनके नाम शामिल
32 ग्रंथों की सूची में वाल्मिकी रामायण, विष्णु पुराण, महाचार्य, विश्वनाथ पंचायनन, तेलंग, गुलेरी संग्रह, सिंह बद्रीनाथ : पाश्चात्य दर्शन, प्रकाशानंद- वेदांत सिद्धांत मुक्तावली, शांकरी तत्वबोधनी, रामायण तिलक आदि प्रमुख हैं।

लेट फी माफ करना अवैधानिक और आपत्तिजनक
नाम न छापने की शर्त पर BHU के पूर्व छात्र ने इसी साल की शुरुआत में कुलपति को चिट्ठी लिखकर कार्रवाई की मांग की थी। उन्होंने कहा कि 16-17 साल तक वे किताबें विश्वविद्यालय में नहीं थीं, जिससे छात्र उनका इस्तेमाल नहीं कर सके। यह बेहद संगीन मामला है। वहीं संकाय द्वारा लेट फीस माफ करना अवैधानिक और आपत्तिजनक होगा।

कहा कि डॉ. मिश्रा की लेट फी हटाने से जो लोग ईमानदारी पूर्वक फाइन भरता है उनमें असंतोष होगा। लिप्त दोषियों पर कार्रवाई हो नहीं तो मैं जनहित याचिका दायर करूंगा। छात्र ने बताया है कि 28 मई 2021 को संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय की नीति निर्धारण समिति की बैठक में इस लेट फी को माफ करने की अनुशंसा की गई थी।