(www.arya-tv.com)यूपी की राजधानी लखनऊ में सिंगापुर की तर्ज पर देश की पहली नाइट सफारी बनेगी। मंगलवार को योगी कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी। कुकरैल रेंज के पूर्वी और पश्चिमी ब्लॉक को मिलाकर नाइट सफारी और चिड़ियाघर बनाया जाएगा।
इसमें जंगल के साथ बिना किसी बदलाव के 150 एकड़ में नया चिड़ियाघर, तो 350 एकड़ में नाइट सफारी बनेगी। इसके लिए लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान को भी कुकरैल में ही शिफ्ट किया जाएगा।
देश में 13 ओपन डे सफारी हैं…
देश में 13 ओपन डे सफारी हैं, लेकिन एक भी नाइट सफारी नहीं है। इसीलिए भी यह बेहद खास होने वाली है। यहां कुकरैल नदी को चैनलाइज कर इसे खूबसूरत रिवर फ्रंट के तौर पर विकसित किया जाएगा। ऐसे में एक ही जगह दिन में चिड़ियाघर, बायो डायवर्सिटी पार्क, शाम को रिवर फ्रंट और रात को वर्ल्ड क्लास नाइट सफारी का मजा मिलेगा।
यह देश की पहली नाइट सफारी होगी, जिसमें हर तरह की सुविधा मौजूद होगी। पर्यटन के लिहाज से यह सरकार की अब तक सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
कुकरैल की नाइट सफारी कैसी होगी? वन्यजीवों की शिफ्टिंग कैसे होगी? इस पर एक नजर…
बनारसी बाग को बदलकर जूलॉजिकल गार्डेन नाम रखा गया था
सबसे पहले आपको लेकर चलते हैं नवाब वाजिब अली शाह जुलॉजिकल गार्डेन। इस उद्यान को कुकरैल में शिफ्ट किया जाएगा। यूपी के तत्कालीन गवर्नर सर हरकोर्ट बटलर ने तत्कालीन प्रिंस ऑफ वेल्स के लखनऊ आगमन को यादगार बनाने के अवध के दूसरे नवाब नसीरुद्दीन हैदर ने बनारसी बाग को बदल कर 29 नवंबर, 1921 को प्रिंस ऑफ वेल्स जूलॉजिकल गार्डेन रखा था। बाद में अवध के नवाब वाजिद अली शाह का नाम इस उद्यान को मिला।
विशेष पिंजड़े से वन्यजीवों की होगी शिफ्टिंग
29 हेक्टेयर के बड़े क्षेत्र में फैले लखनऊ चिड़ियाघर के नाम से मशहूर वाजिद अली शाह जुलॉजिकल गार्डेन में 100 से अधिक प्रजातियों के 1000 से अधिक जानवर और पशु-पक्षी हैं।
वन्यजीवों की शिफ्टिंग स्पेशल पिंजड़े में की जाएगी। जू डायरेक्टर विष्णु कांत मिश्रा ने बताया कि चिड़ियाघर में कुल एक हजार से ज्यादा वन्यजीव हैं। इसमें 12 टाइगर, एक सफेद टाइगर, दो हिप्पो और एक जिराफ हैं। मछलियों को ले जाने के लिए विशेष एक्वेरियम का इस्तेमाल किया जाएगा।
डायरेक्टर ने बताया कि खास पिंजड़े मोटे तारों से बनाए जाते हैं। शिफ्टिंग के दौरान यदि कोई वन्यजीव गाड़ी की दीवारों से टकराए तो उसे चोट न लगे। इसमें कई एजेंसियों की मदद ली जाएगी। क्योंकि ट्रस्ट के पास इतने पिंजड़े नहीं है। इस काम में 2 साल लग सकता है।