(www.arya-tv.com) रोहतास प्लेमेरिया रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA)। यह समिट बिल्डिंग से सिर्फ 50 मीटर की दूरी पर है। दोनों बिल्डिंग की दीवारें भी सटी हुईं हैं। यहां जो कुछ हमारे सामने आया वो चौंकाने वाला था।
अंधेरा होने के बाद यहां की बहू-बेटियां अकेले घर के बाहर निकलने से डरती हैं। नशे की हालत में न जाने कब, कौन छेड़खानी कर दे। बड़े घरों से ताल्लुक रखने वाले ये लड़के बेकाबू सा बर्ताव करते हैं। इनके बीच होने वाले झगड़ों में भी यहां रहने वाले परिवारों का ही नुकसान होता है। कई बार लड़ते हुए ये लोग कैंपस के अंदर आ जाते हैं। गाड़ियों के शीशे तोड़ देते हैं। शराब का नशा इस कदर सिर पर चढ़ा होता है कि परिवार के लोगों से भी बदसलूकी करते हैं। नशे में धुत लड़कियां भी अश्लीलता पर उतारू रहती हैं। इन नशेड़ियों के डर के मारे यहां ज्यादातर लोग घरों के बाहर CCTV लगाते हैं।
खुलेआम लड़के-लड़कियां अश्लीलता करते हैं, लगता है वो किसी और दुनिया में हैं
रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के सदस्य धीरेंद्र वर्मा के मुताबिक कई बार घर के आस-पास लड़के-लड़कियां अश्लील हरकत करते मिल जाते हैं। परिवार साथ हो, तो यह असहज करने वाली स्थिति होती है। कुछ कहिए, तो वो लोग सुनते तक नहीं। ऐसा लगता है कि नशे में वो किसी और ही दुनिया में हैं। ये ऐसी घटनाएं हैं, जिसका असर सोसाइटी के बच्चों पर भी पड़ता है।
शाम के बाद बच्चों को कैंपस के अंदर अकेला नहीं छोड़ सकते हैं। हमारे अपार्टमेंट के बाहर गाड़ियां लगा दी जाती हैं। कुछ कहिए, तो ऊंचे घरों के लड़के रसूख बताने लगते हैं। पार्किंग नहीं होने से हमारे घरों में आने वाले मेहमानों को भी परेशानी होती है।
तेज साउंड ऐसी कि स्लीपिंग पिल्स भी मदद नहीं करती
रेस्तरां में होने वाली इन पार्टियों को उनके व्यवसाय से जोड़कर देखिए। तो सब ठीक ही लगता है। हालांकि, रात 9 बजे के बाद शुरू होने वाले तेज साउंड सोना मुश्किल कर देते हैं। यहां रहने वाली सुमन करती हैं कि स्लीपिंग पिल्स का सहारा लेना पड़ता है। वो भी बेअसर हैं। बालकनी घरों में बनी हैं, लेकिन बैठता कोई नहीं। शोर जो इतना होता है। खिड़कियां बंद रखी जाती हैं। रात 12.30 बजे तक यही सब रोज चलता है।
ऐग्जास्ट फैन अपार्टमेंट की तरह कर दिया
समिट बिल्डिंग का कंस्ट्रक्शन होने के दौरान बताया गया था कि यहां कॉरपोरेट ऑफिस तैयार हो रहे हैं। तब ये नहीं पता था कि इस बिल्डिंग में नाइट क्लब बन जाएंगे। ब्रजेश अग्रवाल कहते हैं कि इस बिल्डिंग के ऐग्जास्ट (हवा बाहर फेंकने वाले पंखे) अपार्टमेंट की तरफ किए गए। यहां रहने वाले करीब 5 हजार लोगों के लिए मुसीबत हो गई। रेस्तरां से निकलने वाली गंध भी दिन के वक्त चैन नहीं लेने देती है। यहां रहने वाले कई बार घर छोड़कर रिश्तेदारों के घर चले जाते हैं, ताकि कुछ समय परेशानी से बच सके।
अराजकता वाले माहौल में नहीं रहेंगे, घर छोड़ रहे
यहां रहने वाले अभिषेक राय कहते हैं कि कुछ महीने पहले ही यहां रहने आए थे। तब माहौल का अंदाजा नहीं था। हर रोज सड़क पर अराजकता देख रहे हैं। इसलिए किराये का घर शिफ्ट कर रहे हैं। इस बार हम माहौल को समझने के बाद ही घर लेंगे।