कोयला इस्तेमाल में चीन-भारत आगे:विश्व की 39% कार्बन डाई ऑक्साइड कोयले से पैदा होती है

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(www.arya-tv.com)दुनिया में ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन का सबसे बड़े स्रोत कोयला है। इसका उपयोग कम करने की प्रक्रिया पिछले कुछ वर्षों से चल रही है। 2009 के बाद अमेरिका और यूरोप में कोयले का उपयोग 34% कम हुआ है। फिर भी, कारों के ईंधन, बिजलीघर और कुछ अन्य प्लांट चलाने में कच्चे माल के रूप में कोयले का इस्तेमाल 27% हो रहा है। 39% कार्बन डाई ऑक्साइड कोयले के ईंधन से निकलती है। इससे लाखों मौतें होती हैं। धरती के तापमान में बढ़ोतरी को 2% तक सीमित रखने के लिए कोयले के उपयोग में कमी जरूरी है। इस समय विश्व के कुल 77% कोयले का उपयोग एशिया महाद्वीप में होता है। इसका दो तिहाई चीन और फिर भारत में हो रहा है।

पश्चिमी देशों में अभी हाल कोयले का उपभोग कम हुआ है। ब्रिटेन में कोयले से चलने वाला अंतिम पावर प्लांट 2022 में बंद हो जाएगा। टैक्स में कमी और सब्सिडी के कारण अमेरिका में सौर और पवन ऊर्जा का उत्पादन बढ़ा है। पिछले दशक में यूरोप में कोयले का उपयोग घटा है लेकिन एशिया मेंं 25 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। चीन और भारत के साथ इंडोनेशिया, वियतनाम जैसी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में कोयले का उपयोग बढ़ा है। एशिया में कोयले का उपयोग कम करने के लिए काफी काम बाकी है।

पूरी दुनिया में इस्तेमाल होने वाले कोयले का 52% चीन में उपयोग किया जा रहा है। भारत की हिस्सेदारी 25% से कम है। चीन के समान भारत में भी कोयला आधारित बिजली उत्पादन क्षमता बढ़ाई जा रही है। वैसे, सरकार ने सौर ऊर्जा उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य भी तय किया है। चीन की तुलना में भारत के पास कोयला के कम विकल्प हैं। प्राकृतिक गैस के आयात की व्यवस्था का ढांचा पूरी तरह नहीं बना है। परमाणु बिजली क्षमता धीरे-धीरे बढ़ रही है।

पेरिस जलवायु समझौते में ग्लोबल तापमान में बढ़ोतरी को दो डिग्री सेंटीग्रेड तक सीमित करने का लक्ष्य है। इसलिए एशिया को कोयले का उपयोग घटाने के लिए नई नीतियां अपनानी होंगी। कुछ देशों ने इस दिशा में कदम उठाया है। फिलीपींस ने नए प्लांट पर रोक लगा दी है। जापान, बांग्लादेश ने कोयला आधारित बिजलीघरों का निर्माण धीमा कर दिया है।

अगले साल प्रकाशित होने वाली चीन की नई पांच साल योजना में कोयले का उपयोग सीमित किया जा सकता है। एशियाई देशों के सामने गंभीर समस्याएं हैं। यूरोप, अमेरिका में कामयाब हो रही रणनीति के एशिया में कारगर होने में कई व्यावहारिक कठिनाइयां हैं। खदान चलाने वाली कंपनियां, बिजलीघर, संबंधित उपकरण निर्माता और कोयला आधारित संयंत्रों को पैसा देने वाले बैंक सरकारी हैं। कोयले पर आधारित अर्थव्यवस्था रोजगार, कर्ज, टैक्सों से आमदनी और निर्यात से जुड़ी है।

भारत में इस साल कोयला आधारित नया पावर प्लांट नहीं

स्वयंसेवी संगठन ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर के अनुसार भारत में इस साल के पहले छह महीनों में कोयले से बिजली का 300 मेगावाट उत्पादन बंद कर दिया गया। कोई नया कोयला प्लांट नहीं बनाया गया है। देश की लगभग 75 प्रतिशत बिजली कोयले से पैदा होती है। ब्रिटेन ने साल के पहले छह महीनों में कोयले से बिजली बनाने वाले अपने 30 प्रतिशत प्लांट बंद कर दिए। स्पेन ने जून में ऐसे सात बिजलीघर बंद किए हैं।

ज्यादा कार्बन डाई ऑक्साइड

कोयले से हर मेगावाट घंटा बिजली पैदा होने पर लगभग 33 किलो कार्बन डाई ऑक्साइड निकलती है। यह प्राकृतिक गैस के प्लांट से दोगुनी ज्यादा है। हालांकि, कोयले का उपयोग स्टील बनाने सहित कई उद्योगों में होता है लेकिन दो तिहाई कोयला बिजली बनाने के लिए जलाया जाता है।

यूरोप और अमेरिका में गिरावट

ब्रिटेन में 2013 में कोयले से 40% बिजली पैदा होती थी। अब यह 2% रह गई है। 2012 से 2019 के बीच यूरोपियन यूनियन में कोयले से बिजली उत्पादन आधा रह गया। अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की कोयला इंडस्ट्री को बचाने की घोषणा धरी रह गई है। 2016 के मुकाबले 2019 में कोयले से बिजली उत्पादन 20% कम रहा।