39 दिन से रोज दो से तीन घंटे लेट पहुंच रहे हैं लोग

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ग्रेटर नोएडा में रहने वाले संकल्प तोमर ओखला औद्योगिक क्षेत्र की एक नामी कंपनी में नौकरी करते हैं। सुबह 9 बजे उन्हें दफ्तर पहुंचना होता है। पहले वे 8 बजे घर से निकलते और समय पर दफ्तर पहुंच जाते थे। पिछले 39 दिन से उन्हें सुबह साढ़े छह बजे घर से निकलना पड़ रहा है।
इसी तरह अनुराधा शर्मा के दो बच्चे नोएडा के नामी स्कूल में पढ़ते हैं। स्कूल प्रबंधन ने सरिता विहार में बस भेजने से मना कर दिया है। स्कूल का कहना है कि बच्चों को खुद छोड़ो और खुद ही लेकर जाओ…।
संकल्प और अनुराधा की तरह लाखों लोग शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन की वजह से परेशान हैं। नोएडा की ओर से दक्षिण दिल्ली आने और जाने के लिए अब लोगों को डीएनडी पुल या निजामुद्दीन पुल का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। यातायात के दबाव की वजह से इन मार्गों पर ज्यादातर समय जाम लगा रहता है। व्यस्त समय में तो इनकी हालत और भी खराब रहती है। मथुरा रोड पर भी कई-कई किलोमीटर लंबा जाम रहने लगा है।
सरिता विहार निवासी दिव्या ने बताया कि उनके बेटे के प्रीबोर्ड एग्जाम चल रहे हैं। किसी तरह वे उसे एग्जाम दिला रही हैं। आगे बोर्ड परीक्षा भी नजदीक है। ऐसे ही चला तो बड़ी परेशानी होने वाली है। दिव्या ने कहा कि सरकार और पुलिस को सख्ती से काम लेकर प्रदर्शनकारियों को हटा देना चाहिए।

छूट मिलते ही जामिया और शाहीन बाग पहुंचे चंद्रशेखर
अदालत से दिल्ली आने की छूट मिलते ही भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद बुधवार शाम राजधानी के जामिया मिल्लिया इस्लामिया और शाहीन बाग पहुंच गए। उन्होंने युवाओं से लोकतंत्र और संविधान को बचाने के लिए शांतिपूर्वक आवाज उठाने की अपील की। चंद्रशेखर ने कहा कि सरकार से हमारी असली लड़ाई हर हाल में संविधान को बचाने की है।
शाम करीब 7 बजे चंद्रशेखर जामिया मिल्लिया के गेट नंबर-7 पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि सरकार कहती है कि मुल्क में अमन-चेन है। यह सरासर गलत है। कोई सरकार की गलत नीतियों का विरोध करता है तो उसे जेल में डाल दिया जाता है या फिर लाठी खानी पड़ती है। यूपी में तो गोली तक मार दी जाती है। उन्होंने कहा कि अपराध करने वाला चाहे कोई भी हो उसे परिणाम भुगतना ही होगा। विद्यार्थियों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद वे आंदोलन और तेज करेंगे।
यहां से चंद्रशेखर शाहीन बाग पहुंचे। उन्हें देखते ही प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी की। यहां उन्होंने कहा कि शाहीन बाग की आवाज पूरी दुनिया में पहुंच रही है, लेकिन सरकार तक नहीं। सरकार नहीं सुनेगी तो हर बाग शाहीन बाग होगा।