250 रुपये का ऑक्सीजन सिलिंडर, छह गुना वसूली

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(www.arya-tv.com) कोरोना की दूसरी लहर के बाद अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लग जाने से जंबो सिलिंडर की मांग घट गई है। इससे इसके दाम भी गिर गए हैं, लेकिन निजी अस्पतालों की वसूली में कोई कमी नहीं आई है। इसके चलते मरीजों पर अनावश्यक रूप से इलाज के खर्च का बोझ बढ़ रहा है। ये तीन मामले निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन के नाम पर हो रही मनमाना वसूली की बानगी हैं।

राजधानी में इस समय एक जंबो ऑक्सीजन सिलिंडर 200 से 250 रुपये में आसानी से उपलब्ध है। जानकारों के मुताबिक एक सिलिंडर सात से आठ घंटे तक चल जाता है। निजी अस्पताल मरीजों से प्रति घंटे 250 रुपये वसूल रहे हैं और एक सिलिंडर पर 1200 से 1500 रुपये तक की कमाई कर रहे हैं। यह हाल छोटे और मझोले अस्पतालों का है। बड़े-कॉरपोरेट अस्पतालों में वसूली का यह ग्राफ डेढ़ से दो गुना और बढ़ जाता है। निजी अस्पतालों में जिला प्रशासन की ओर से ऑक्सीजन की दर तय नहीं होने से यह मनमानी जारी है।

सरकारी अस्पतालों में 200 सिलिंडर की मांग
सरकारी अस्पतालों व कई बड़े निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लग चुके हैं। इससे अब गैस कंपनी बिना प्लांट वाले निजी अस्पतालों के भरोसे ही चल रही है। सरकारी अस्पतालों में विकल्प के तौर पर महज आठ से 10 सिलिंडर लिए जा रहे हैं, ताकि आपात स्थिति में इनका उपयोग किया जा सके। बलरामपुर, सिविल, लोकबंधु, रानीलक्ष्मीबाई अस्पताल, बीआरडी महानगर समेत अन्य अस्पतालों में रोजाना करीब 2000 हजार सिलिंडर की खपत थी, जो अब सिमट कर दो से तीन सौ सिलिंडर तक ही बची है।

निजी अस्पतालों में खप रहे 3000 सिलिंडर
राजधानी में 1200 से ज्यादा निजी अस्पताल चल रहे हैं। औसतन एक अस्पताल तीन जंबो सिलिंडर ले रहा है। एक अनुमान के  मुताबिक, गैस कंपनी करीब 3000 से ज्यादा सिलिंडर निजी अस्पतालों में खपा रही है। इसमें कई गैस कंपनियां सस्ती दर पर सिलिंडर भरकर देने का दावा कर रही है, ताकि उनकी कंपनी चलती रहे।

सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल का कहना है कि सीएमओ ऑक्सीजन के नाम पर मरीजों से मनमाना पैसा वसूलना ठीक नहीं है। कोई शिकायत आती है तो जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।