एनीमिया मुक्त अभियान में 24 जिलों ने लगाई छलांग, टॉप पर कौशांबी… जानें लखनऊ को कौन से मिली जगह

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 उप्र. ने एनीमिया मुक्त भारत (एएमबी) अभियान में देशभर में मिसाल कायम की है। राज्य सरकार, एनएचएम और समुदाय के संयुक्त प्रयासों से राजधानी लखनऊ समेत 24 जिलों में गर्भवती महिलाओं, किशोरियों और बच्चों के बीच आयरन-फॉलिक एसिड (आईएफए) वितरण में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। उक्त में आंकड़ों में कौशाम्बी जनवरी-मार्च 2025 में प्रदेश में शीर्ष स्थान पर रहा। जबकि अप्रैल-जून 2024 में यह 33वें नंबर पर था।

रविवार को एनएचएम मिशन निदेशक डॉ. पिंकी जोवेल ने बताया कि कौशाम्बी जिले ने गर्भवती महिलाओं, किशोरियों और बच्चों में आईएएफए कवरेज के राष्ट्रीय औसत को पीछे छोड़ते हुए तेजी से सुधार किया है। वहीं अमरोहा दूसरे और हापुड़ तीसरे स्थान पर रहे। लखनऊ भी 18वें स्थान से उठकर छठे पायदान पर पहुंच गया है।

24 जिलों में सुधार, आकांक्षी जिलों में श्रावस्ती नंबर वन

मिशन निदेशक ने बताया कि सीतापुर, गोरखपुर, अयोध्या, कानपुर नगर, प्रतापगढ़, जौनपुर, मथुरा, हरदोई और गाजियाबाद समेत 24 जिलों ने आयरन फॉलिक एसिड सेवन में बड़ी प्रगति की है। आकांक्षी जिलों में श्रावस्ती 86.3 के इंडेक्स के साथ सबसे आगे है, जबकि बलरामपुर और फतेहपुर ने भी खासा सुधार किया है। बिजनौर की 17 वर्षीय अंशु बताती हैं कि स्कूल में हर सोमवार आयरन फॉलिक एसिड की गोली लेने से अब कमजोरी और चक्कर की समस्या नहीं रहती। काकोरी की आशा कार्यकर्ता रूबी घर-घर जाकर टैबलेट वितरित करती हैं और महिलाओं को जागरूक करती हैं। रूबी जैसी कार्यकर्ताओं ने कई जरूरतमंद इलाकों में 90 प्रतिशत से अधिक कवरेज हासिल कराया है।

पॉलिसी रिफॉर्म और डेटा-ड्रिवन अप्रोच का असर

एनएचएम की डॉ. पिंकी जोवेल ने बताया कि राज्य का औसत एएमबी इंडेक्स 56.9 है। गर्भवती महिलाओं में आईएफए कवरेज 95 प्रतिशत तक पहुंच गया है। हालांकि 6–59 महीने के बच्चों में कवरेज सिर्फ 4.9 प्रतिशत है, जो शुरुआती बचपन के पोषण पर अधिक फोकस की जरूरत दिखाता है। एनएचएम के जनरल मैनेजर डॉ. मिलिंद वर्धन ने कहा कि एनीमिया से लड़ाई केवल स्वास्थ्य नहीं, बल्कि महिलाओं के सशक्तिकरण और समावेशी विकास की लड़ाई है।