ऐतिहासिक चौक इलाके में स्थित मठ श्री बड़ी काली मंदिर न केवल राजधानी का प्रमुख धार्मिक स्थल है, बल्कि इसकी प्राचीनता और विशेष मान्यता इसे एक अलग आध्यात्मिक ऊंचाई प्रदान करती है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना आदि शंकराचार्य द्वारा लगभग 2000 वर्ष पूर्व की गई थी।
मंदिर की विशेष मान्यता
इस मंदिर को लेकर आस्था है कि जो भी भक्त लगातार 40 दिन तक मां की आरती में शामिल होता है, उसे जीवन की सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है और उसे सफलता और तरक्की प्राप्त होती है। यही कारण है कि दूर-दूर से श्रद्धालु यहां दर्शन और पूजा के लिए पहुंचते हैं।
इतिहास से जुड़ी रहस्यमयी कथा
मुगल काल के दौरान जब भारत में मंदिरों को तोड़ा जा रहा था, तब इस मंदिर पर भी संकट आया। मान्यता है कि उस समय मंदिर के पुजारी ने मां काली की मूर्ति को बचाने के लिए एक कुएं में छिपा दिया। कुछ समय बाद पुजारी को स्वप्न में आदेश मिला कि मूर्ति को बाहर निकाला जाए। जब मूर्ति को कुएं से बाहर लाया गया, तो आश्चर्यजनक रूप से वहां से मां काली की जगह विष्णु और लक्ष्मी जी की मूर्ति निकली। इसके बाद से इसी मूर्ति की पूजा शुरू हुई, लेकिन रूप काली मां का ही माना गया। आज भी इस मंदिर में मां काली के रूप में विष्णु और लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है।
नवरात्रि में विशेष आयोजन
मठ के महंत स्वामी विवेकानंद गिरी महाराज के अनुसार नवरात्रि के दौरान इस मंदिर का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस अवसर पर यहां विशेष पूजा, आरती, मेले और तांत्रिक क्रियाओं का आयोजन होता है। मंदिर सुबह 4 बजे से रात 12 बजे तक खुला रहता है। आरती का समय सुबह 9 बजे और रात 9 बजे निर्धारित है। हर दिन मां का श्रृंगार अलग-अलग रंगों के पुष्पों से किया जाता है। नवमी के दिन चढ़ी चुनरियां कन्याओं को दान की जाती हैं।
ढाई सौ वर्षों से जल रही अखंड ज्योति
मंदिर परिसर में दो अखंड ज्योतियां एक मीठे तेल की और दूसरी देसी घी की लगभग 250 वर्षों से निरंतर जल रही हैं। मान्यता है कि जो व्यक्ति इन ज्योतियों में अपने नाम से तेल या घी डलवाता है, उसे 40 दिनों तक शुभ फल प्राप्त होते हैं।
तांत्रिक क्रियाएं व सेवा कार्य
यह मंदिर न केवल धार्मिक स्थल है, बल्कि यह ऊपरी बाधाओं और नजर दोष को दूर करने के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां पर तांत्रिक विद्वानों द्वारा विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। मंगलवार और शनिवार को बड़ी संख्या में लोग नजर दोष उतरवाने आते हैं। बच्चों के मुंडन संस्कार भी यहां पर होते हैं।
श्रद्धालुओं के लिए सुव्यवस्थित व्यवस्था
मंदिर के व्यवस्थापक रामचंदर शुक्ला ने बताया कि नवरात्रि और अन्य पर्वों पर भारी भीड़ को देखते हुए महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग कतारों की व्यवस्था की गई है। मंदिर परिसर में भीड़ नियंत्रण के लिए विशेष इंतज़ाम किए गए हैं। गर्भगृह में प्रवेश न देकर, पुजारी द्वारा ही प्रसाद चढ़ाया जाता है। झालरों और आकर्षक सजावट से मंदिर को सुसज्जित किया जाता है।
नवरात्र के पंचम दिवस बड़ी काली जी मंदिर में उमड़े श्रद्धालु
नवरात्रि के पंचम दिवस पर चौक स्थित मठ श्री बड़ी काली जी मंदिर में प्रातः कपाट खुलते ही हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ मां के दर्शन के लिए उमड़ पड़ी। भक्तों ने मां की पूजा-अर्चना कर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना की। इसी के साथ ही अन्य मंदिरों चौपटिया स्थित संकटा मंदिर, शास्त्री नगर दुर्गा मंदिर, मरी माता मंदिर, संदोहन मंदिरों में देर रात तक भीड़ रही।