मानसून का धोखा, किसानों के 14 अरब रुपए डूब जाएंगे:पिछले साल की तुलना में 17 प्रतिशत बारिश कम

Environment National

(www.arya-tv.com)राजस्थान में समय से पहले आए मानसून ने अब तक की खेती के आंकड़ों को बिगाड़ दिया है। राज्य में 21 प्रतिशत बुआई हो चुकी है जबकि जुलाई के महीने में बारिश हुई तो इस आंकड़े में कुछ सुधार की उम्मीद है। वर्ष 2020 की तुलना में खरीफ की फसल न सिर्फ पिछड़ती नजर आ रही है बल्कि किसानों को भारी नुकसान की ओर धकेलती नजर आ रही है। अब तक राजस्थान के किसान अपनी जेब से अरबों रुपए खर्च कर चुके हैं, लेकिन फसल से आय बहुत कम होने की आशंका बन गई है। एक अनुमान के मुताबिक राज्य में अब तक 14 अरब 8 करोड़ रुपए किसान खर्च चुका है, लेकिन इसी अनुपात में उसे फसल नहीं मिल सकती। जुलाई में मानसून मेहरबान हुआ तो किसान का नुकसान कम हो सकता है।

दरअसल, राजस्थान में खरीफ की फसल के लिए इस बार 1 करोड़ 63 लाख 38 हजार हेक्टेयर में बुआई का लक्ष्य रखा गया था। अब तक महज 21 प्रतिशत लक्ष्य पूरा हुआ है यानी 35 लाख 21 हजार हेक्टेयर में ही बुआई हो सकती है। जुलाई में अगर अच्छी बारिश होती है तो ये आंकड़ा बढ़ेगा। खेत में ट्रैक्टर चलाने, बीज डालने और मजदूर लगाने में प्रति हेक्टेयर करीब चार हजार रुपए खर्च करता है। ऐसे में अब तक 14 अरब रुपए किसान खर्च चुका है। अभी खेत में बुआई के साथ बीज डालने जितना काम हुआ है। जैसे-जैसे खेती आगे बढ़ेगी वैसे-वैसे ये खर्च बढ़ता जाएगा।

ये होता है खर्च

मक्का में प्रति हेक्टेयर में 25 किलो बीज 2500 रुपए, डीएपी खाद 1600 रुपए, 100 किलो यूरिया खाद, कीट नाशक दवा आदि 4900 रुपए के साथ कुल दस हजार रुपए का खर्च फसल मिलने तक आता है। वहीं सोयाबीन में भी करीब इतना ही खर्च आता है। बाजारा में बीज के 1800 रुपए, खाद के चार रुपए, मूंग बीज के बारह सौ रुपए, खाद के चार सौ रुपए, ग्वार बीज के छह सौ रुपए, यूरिया के चार सौ रुपए मिलाकर हजार रुपए के आसपास खर्च आता है।

कौन सी फसल कितनी बुआई

अनाज अब तक करीब 12 लाख 4 हजार हेक्टेयर में बुआई की जा चुकी है। वहीं दालों की बुआई 17 लाख 24 हजार हेक्टेयर में हुई है। तिलहन की बुआई सबसे ज्यादा 36.4 प्रतिशत 8 लाख 62 हजार हेक्टेयर में हो चुकी है। जबकि अन्य में गन्ना, कपास, ग्वार आदि की बुआई करीब 98000 हेक्टेयर में हो चुकी है।

यहां मेहरबान है बारिश

बारिश के मामले में इस बार सबसे आगे पश्चिमी राजस्थान है। राज्य के बारह जिलों में ही बरसात का आंकड़ा सामान्य से ज्यादा है। जैसलमेर अकेला ऐसा जिला है जहां असामान्य बारिश मानी गई है। यहां 2 जुलाई तक 101.2 प्रतिशत बारिश हो चुकी है। इसके अलावा चूरू में 30.1 प्रतिशत, बीकानेर में 26.7 प्रतिशत, हनुमानगढ़ में 26 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है। इसके अलावा चित्तौड़गढ़् में 25.1 प्रतिशत, प्रतापतगढ़ में 30.1 प्रतिशत, राजसमंद में 12 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है।

यहां सबसे कम बारिश

राज्य के 21 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है। इसमें झुंझुनूं में 71 प्रतिशत कम बारिश हुई है। यहां सामान्य रूप से 63.20 एमएम बारिश दर्ज होती है, लेकिन इस बार 18.13 एमएम बारिश हुई है। इसी तरह भीलवाड़ा में -36.5 प्रतिशत बारिश हुई है। टोंक में -55 प्रतिशत बारिश हुई है। कोटा, बारा, बूंदी में पचास फीसदी से ज्यादा कम बारिश हुई है। ऐसे में इन क्षेत्रों में होने वाली फसलों की बुआई भी कम हुई है। कोट में धान, दाल और अन्य बुआई लक्ष्य से बहुत कम हुई है। दालें यहां 56 हजार हेक्टेयर में होती हैं, लेकिन इस बार ये आंकड़ा अब तक एक हजार हेक्टेयर तक भी नहीं पहुंचा। अनाज यहां 97 हजार हेक्टेयर में होना थी, लेकिन अब तक 1200 हेक्टेयर में हो पाया है।

गत वर्ष राजस्थान में 2 जुलाई तक 66.67 एमएम बारिश हो चुकी थी, लेकिन इस बार दो जुलाई तक 55.63 एमएम बारिश हुई है। पिछली बार दो जुलाई तक बारिश सामान्य से महज 0.79 प्रतिशत कम हुई थी, लेकिन इस बार 17.5 प्रतिशत कम बारिश दर्ज हुई है।