ऐतिहासिक सफलता:कुशिंग सिंड्रोम को पकड़ने में 100 फीसदी सफलता

Health /Sanitation

(www.arya-tv.com)जैसे एंडोर्फिन हॉर्मोन के कारण हमें आनंद की अनुभूति होती है, उसी तरह से कोर्टिसोल हॉर्मोन को तनाव का मुख्य कारक माना जाता है। कोर्टिसोल यानी ‘स्ट्रेस हार्मोन’ के ज्यादा होने की वजह से होने वाले कुशिंग सिंड्रोम की इमेजिंग में पीजीआई ने सफलता हासिल की है। ये दुनिया का पहला संस्थान है, जिसने ऐसी तकनीक तैयार की है, जिसमें इस बीमारी को पकड़ने में 100 फीसदी सफलता मिलेगी।

इस तकनीक की मदद से कुशिंग सिंड्रोम को प्राथमिक स्तर पर ही पकड़ा जा सकेगा। इससे हाइपरटेंशन और डायबिटीज बिगड़ने की संभावना नहीं रहेगी। एमआरआई में भी यह बीमारी आसानी से पकड़ में नहीं आती।

कुशिंग सिंड्रोम के लक्षण
1. वजन बढ़ना, विशेष रूप से शरीर के ऊपरी हिस्से में,
2.पीठ के ऊपरी-हंसलियों में अत्यधिक चर्बी
3.डायबिटीज, हाइपरटेंशन
4.ऑस्टियोपोरोसिस
5.पतली, नाजुक त्वचा जिस पर आसानी से खरोंचें आ जाती हैं
6.त्वचा पर बैंगनी-लाल रंग के खिंचाव के चिह्न
7.महिलाओं में चेहरे पर अत्यधिक बाल
8.हडि्डयाें-मांसपेशियों को कमजोर करता है।

27 मरीजों पर किया ट्रायल– 27 मरीजों पर इसका ट्रायल किया। 24 को कुशिंग सिंड्रोम था और 3 को इकोटॉपिक कुशिंग सिंड्रोम। रिसर्च को लगभग 5.6 इंपैक्ट फैक्टर वाले द जरनल ऑफ क्लीनिकल एंडोक्रोनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म में प्रकाशित किया गया है। पीजीआई के डिपार्टमेंट ऑफ एंडोक्रोनोलॉजी और डिपार्टमेंट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसन को यह सफलता मिली है।

5 साल तक इस पर किया काम- एंडोक्रोनोलॉजी से डॉ. रमा वालिया बताती हैं कि न्यूक्लियर मेडिसन की बहुत सी तकनीकें उनके विभाग में इस्तेमाल होती हैं। ऐसे ही एक दिन बातचीत के दौरान किसी अन्य बीमारी पर चर्चा करते हुए उन्होंने कुशिंग सिंड्रोम पर बात की। बाद में इस पर मीटिंग हुई और करीब 5 साल तक इस दिशा में काम किया गया। इसका ट्रायल 27 मरीजों पर किया। इनमें से चार मरीजों की एमआरआई रिपोर्ट निगेटिव आई थी। सर्जरी की गई तो सभी मरीजों को यह समस्या थी।