(www.arya-tv.com) उत्तर प्रदेश परिवहन निगम अगर सक्रिय रहता तो हजारों लोगों की जान सड़क दूर्घटना से बचाई जा सकती थी। उत्तर प्रदेश में 10000 लोग सड़क हादसों में मरते हैं। इसके बाद भी परिवहन विभाग और विभागीय मंत्री इस मामले को गंभीरता से नहीं लेते है। हादसों को रोकने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट में व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम डिवाइस, पैनिक बटन लगाने थे लेकिन वह काम अभी तक पूरा नहीं हुआ। राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद के सदस्य डॉ कमल सोई ने यूपी सरकार पर यह आरोप लगाया है।
उनका कहना है कि कंट्रोल कमांड सेंटर बनाने के लिए बजट भी निर्भया फंड के तहत दे दिया गया, लेकिन अभी तक विभाग ने इस पर कोई काम नहीं किया। विभाग की लापरवाही से ही पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सफर करने के दौरान महिलाएं खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं। निर्भया कांड के बाद महिलाओं के साथ होने वाले अपराध पर अंकुश लगाने के लिए भारत सरकार ने रिटायर्ड न्यायमूर्ति जेएस वर्मा की अध्यक्षता में समिति का गठन किया था. सभी सार्वजनिक सेवा वाहनों में आपातकालीन पैनिक बटन सहित वाहन में लोकेशन ट्रैकिंग उपकरण लगाए जाने की सिफारिश की गई थी।
बीएसएनएल के साथ करार भी नहीं हुआ
देश में सार्वजनिक सर्विस वाहनों और राष्ट्रीय परमिट वाले माल वाहनों में आपातकालीन पैनिक बटन सहित वाहन में लोकेशन ट्रैकिंग उपकरणों को फिट कराना अनिवार्य कर दिया गया। लेकिन यूपी में इसको लागू नहीं किया गया। अभी तक कंट्रोल कमांड सेंटर भी संचालित नहीं हो पाया और वाहनों में व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम भी नहीं लगाए जा सके हैं। इससे महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा खतरे में है. उन्होंने मांग की है कि उत्तर प्रदेश के परिवहन विभाग को सुनिश्चित करना चाहिए कि वाहन विशिष्ट फिटमेंट प्रक्रिया सहित वीएलटी डिवाइस निर्माता की मंजूरी वाले वाहनों में सिर्फ ओईएम स्वीकृत वीएलटी उपकरण ही फिट करने की अनुमति हो और कोई उपकरण न लगाया जाए।