हाथरस दुष्कर्म:परिवार की इच्छा के खिलाफ रात 2:30 बजे अंतिम संस्कार

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(www.arya-tv.com) हाथरस की निर्भया काे परिवार की आिखरी विदाई भी नसीब नहीं हुई। प्रशासन ने परिवार की इच्छा के खिलाफ आधी रात को ही उसका अंतिम संस्कार कर दिया।

रात 12.40 बजे पुलिस की गाड़ियों के साथ एंबुलेंस पहुंची। 200 से ज्यादा पुलिस जवानों के साथ डीएम, एसपी और जॉइंट मजिस्ट्रेट भी थे। एंबुलेंस घर पर रुकी ही नहीं। इंतजार कर रहे सब लोग एंबुलेंस के पीछे भागे। एंबुलेंस के सामने लेट गए। परिवार-रिश्तेदार पुलिसवालों से कह रहे थे- हमारी जान ले लीजिए, पर बिटिया का चेहरा दिखा दीजिए। एक घंटे तक धक्का-मुक्की चलती रही। लड़की के पिता को धक्का दिया गया। मां गिड़गिड़ा रही थी। पीड़िता ने अस्पताल में मां से कहा था कि अगर वो नहीं बच सकी तो एक बार जरूर घर लेकर जाना।

लोग पुलिस से पूछते रहे कि आपको जल्दी क्या है? 5 मिनट के लिए ही शव को घर ले जाने दीजिए। परिवार हिंदू रीति-रिवाज के मुताबिक बेटी को हल्दी लगाकर विदा करना चाहता था। रात में संस्कार नहीं करना चाहता था। परिवार बोलाता रहा कि एक बार तो चेहरा देखने दीजिए। एक पुलिस अफसर पीड़ित के पिता से ही कह रहे थे कि आपसे बहुत गलती हुई है। इस हंगामे में करीब दो घंटे बीत गए।

डीएम के निर्देश पर वहां मौजूद सभी लोगों को जबरन घरों के अंदर बंद कर दिया गया। फिर पीड़ित की मां और पिता को अंतिम संस्कार वाली जगह ले जाया गया। परिवार रात में अंतिम संस्कार को तैयार नहीं हुआ और घर वापस आ गया। उन्हें नहीं लगा था कि पुलिस खुद ही अंतिम संस्कार कर देगी।

जब पुलिस ने शव को अग्नि के हवाले कर तो वहां गांव का कोई सदस्य नहीं था।