(www.arya-tv.com)स्मार्ट मीटर को लेकर विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। स्मार्ट मीटर लगाने की अनिवार्यता को उपभोक्ता परिषद ने कस्टमर के अधिकारों का हनन माना है। उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने बताया कि स्मार्ट मीटर के माध्यम से पूरे देश की बिजली व्यवस्था को प्रीपेड पर लाने की तैयारी है। इस व्यवस्था पर पहले रिचार्ज करा कर बिजली मिलेगी। इससे गरीब और मजदूर वर्ग के घर बिजली नहीं मिल पाएगी। उप्र में स्मार्ट मीटर के तेज चलने की शिकायत भी है, जिसके बाद फिलहाल इसको लगाने पर रोक लगा दिया गया था।
परिषद के अध्यक्ष ने बताया कि मौजूदा समय उपभोक्ताओं का सिक्योरिटी का पैसा ही करोड़ों रुपए बिजली कंपनियों के पास जमा है। क्या वह पैसा उपभोक्ताओं को वापस होगा। उन्होंने बताया कि पूरे देश के पैमाने पर बात करे तो यह हजारों करोड़ रुपया होता है। यूपी में ही यह राशि करीब 3379 करोड़ रुपए है। उन्होंने सवाल उठाया है कि क्या सिक्योरिटी का यह पैसा विभाग उनको वापस करेगा।
उपभोक्ताओं ko विकल्प का अधिकार
उपभोक्ताओं के पास प्रीपेड और पोस्ट पेड का विकल्प होना चाहिए। लेकिन यह अधिकारी छीनने की तैयारी चल रही है। उपभोक्ताओं का विकल्प छीनने का अधिकारी किसी को नहीं है। परिषद ने आरोप लगाया है कि सरकार उपभोक्ताओ की सुबिधा बढ़ाने के बजाय घटा रही है।
केंद्र सरकार को विधिक प्रस्ताव
उपभोक्ता परिषद की दलील है कि जब 2025 तक सभी घरों में स्मार्ट मीटर लगाना है तो बिल रीडिंग का नया टेंडर जारी करने का कोई औचित्य नहीं था। तीन वर्षों के लिए बिलिंग रीडिंग बिल वितरण के लिए लगभग 600 करोड़ का टेंडर फाइनल किया गया है। मौजूदा समय उप्र में 12 लाख स्मार्ट मीटर लगे हैं। यहां उपभोक्ताओं की संख्या दो करोड़ 90 लाख के करीब है। केंद्र सरकार को बहुत जल्द एक विधिक प्रस्ताव भेजा जाएगा। इसमें बताया जाएगा कि कौन उपभोक्ता प्रीपेड मोड में रहना पसंद करता है कौन नहीं । दोनों विकल्प खुले होने चहिए।
हर महीने जीएसटी चार्ज
आरोप है कि स्मार्ट मीटर में हर महीने जीएसटी चार्ज किया जा रहा है। जबकि एक बार मीटर की ख़रीददारी के समय ही जीएसटी भुगतान किया गया था। ऐसे में दोबारा उस पर जीएसटी लेना सही नहीं है। यह नियम भी केंद्र सरकार को खत्म करना चाहिए। इससे करोड़ों उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।