शहद एक महत्वपूर्ण औषधि है। शहद शरीर पर अलग-अलग तरह से असर डालता है। अगर शहद को गुनगुने पानी में मिलाकर पिया जाए तो उसका खून में लाल रक्त कोशिकाओं (आरबीसी) की संख्या पर लाभदायक असर पड़ता है। लाल रक्त कोशिकाएं मुख्य रूप से शरीर के विभिन्न अंगों तक खून में ऑक्सीजन पहुंचाती हैं। शहद और गुनगुने पानी का मिश्रण खून में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाता है, जिससे एनीमिया या खून की कमी की स्थिति में लाभ होता है। इसी तरह सफेद शहद भी होता है जो कि सेहत के लिए बेहद लाभकारी होता है।
क्या है सफेद शहद
सफेद शहद गहरे रंग के शहद की तुलना में ज्यादा पौष्टिक होता है। यह हर मौसम व हर फूल से प्राप्त नहीं होता बल्कि अल्फाल्फा, फायरवेड और सफेद तिपतिया घास फूलों से मिलता है। सफेद शहद में फ्लेवोनोइड्स और फेनोलिक नामक यौगिक और एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं। यह हमारे शरीर को फ्री रेडिकल्स से लड़ने में मदद करते हैं और कोशिका को क्षति से बचाने में मदद करते हैं।
काफी समय से शहद को कफ-खांसी के लिए दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। यह गले में खराश को दूर करने और खांसी से राहत पाने में मदद करता है साथ ही पाचन संबंधी समस्याओं के लिए शहद आपको पाचन संबंधी मुद्दों जैसे कि दस्त और अल्सर के इलाज में भी मदद करता है। सर्दी-जुकाम से जुड़ी बीमारियों में नीम, काली मिर्च, शहद और हल्दी का सेवन काफी फायदेमंद है। वहीं, एक अनार का ताजा रस लेकर उसमें एक बड़ा चम्मच शहद मिलाकर रोजाना सुबह खाली पेट लेने से दिल की बीमारी में लाभदायक होता है। साथ ही शहद का उपयोग त्वचा को सुंदर और त्वचा के घावों को ठीक करने के लिए भी किया जाता है।
सफेद शहद स्वाद में मीठा होने की वजह से कई बार लोग शहद का अधिक मात्रा में सेवन कर लेते हैं, जो कई बार नुकसानदायक साबित होता है। शहद का अधिक सेवन करने से शरीर में फ्रक्टोज नामक तत्व की मात्रा बढ़ जाती है। जिससे छोटी आंतों की पोषक तत्वों को सोखने की क्षमता कम होने लगती है और शरीर कमजोर होने लगता है। वहीं, शहद का लंबे समय तक अधिक सेवन करने से शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है। अगर आप अधिक मात्रा में शहद का सेवन करते हैं, तो इससे आपको फूड प्वाइजनिंग की शिकायत हो सकती है। खासकर बच्चों में ये परेशानी बहुत जल्द दिखाई देती है, एक वर्ष से कम आयु के बच्चों को शहद नहीं देनी चाहिए।