Movie Review: शुभ मंगल ज्यादा सावधान
कलाकार: आयुष्मान खुराना, जितेंद्र कुमार, गजराज राव, नीना गुप्ता, मनु ऋषि चड्ढा, सुनीता, मानवी, पंखुड़ी आदि
निर्देशक: हितेश केवल्या
निर्माता: आनंद एल राय, भूषण कुमार, हिमांशु शर्मा
रेटिंग: ***
कलाकार: आयुष्मान खुराना, जितेंद्र कुमार, गजराज राव, नीना गुप्ता, मनु ऋषि चड्ढा, सुनीता, मानवी, पंखुड़ी आदि
निर्देशक: हितेश केवल्या
निर्माता: आनंद एल राय, भूषण कुमार, हिमांशु शर्मा
रेटिंग: ***
हिंदी सिनेमा में शुभ मंगल ज्यादा सावधान कई मायनों में एक नई लीक बनाने वाली फिल्म है। समलैंगिक रिश्ते हिंदी सिनेमा में पहले भी फायर, कपूर एंड संस, माई ब्रदर निखिल, अलीगढ़ और एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा जैसी फिल्मों में दर्शक देख चुके हैं। लेकिन, यहां किरदार किसी तरह के अपराधबोध से ग्रसित नहीं हैं। फिल्म हास्य से ज्यादा व्यंग्य परोसती है और ये व्यंग्य मुख्य कलाकारों को साथी कलाकारों से मिलने वाली प्रतिक्रिया से उपजता है। आयुष्मान खुराना की अब तक की फिल्मों के हिट होने के पीछे एक बड़ा कारक युवाओं का उनके प्रति लगाव रहा है और इस लगाव को परखने की कसौटी है उनकी नई फिल्म शुभ मंगल ज्यादा सावधान।
वीर्यदाता बेरोजगार से लेकर यौन शिथिलता तक पर फिल्में कर चुके आयुष्मान की फिल्म को लेकर इसके निर्माता जितने अतिरिक्त सतर्क रहे हैं, उसकी जरूरत दिखती नहीं है। मुंबई में फिल्म का पहला सार्वजनिक शो गुरुवार की आधी रात को करने की कोई खास जरूरत इस फिल्म को देखने के बाद समझ आती नहीं। सुबह नौ बजे के शो में हालांकि लोग गिनती के ही दिखे लेकिन फिल्म का विषय इसे खासी चर्चा दिलाता रहा है। शुभ मंगल ज्यादा सावधान की कहानी कार्तिक और अमन के प्यार में पड़ने की कहानी नहीं है। कहानी दोनों के प्यार से शुरू होती है। फिल्म की असली कहानी है इन दोनों के प्यार में होने की बात सामने आने के बाद इन दोनों के परिवारों में मचने वाले कोहराम की।
हितेश केवल्या ने फिल्म शुभ मंगल ज्यादा सावधान की कहानी ऐसी लिखी है कि इसमें हर किरदार अपनी अलग अहमियत के साथ परदे पर आता है। ऋषिकेष मुखर्जी की फिल्मों सी पसरी फिल्म तो वह लिखने में कामयाब रहते हैं लेकिन कई मौकों पर वह इसे बिखरने से रोक नहीं पाते। फिल्म की बेहतर पटकथा और इसका चुस्त संपादन इसे एक कालजयी फिल्म बना सकता था। लेकिन, शुभ मंगल ज्यादा सावधान को अपने समय का मील का पत्थर बनाने में आयुष्मान और उनके साथी कलाकार जितेंद्र ने पूरी जान लगा दी है। अगर दोनों के बीच तुलना करें तो ये फिल्म जितेंद्र कुमार की फिल्म ज्यादा लगती है। अपने पुरुष साथी पर जान लुटाने वाले युवक के तौर पर कई दृश्यों में वह आयुष्मान पर भारी पड़े हैं।
फिल्म में गजराज राव और नीना गुप्ता की जोड़ी अपनी पिछली फिल्म बधाई हो की समरसता को आगे बढ़ाने की कोशिश तो करती है लेकिन यहां गजराज राव मांझे के पेंच सही से लड़ा नहीं पाते। उनका चीखना चिल्लाना उनकी पतंग सद्दी से काट देता है। चाचा और चाची के किरदार में मनु और सुनीता की जोड़ी उनसे ज्यादा असरकारक है। और, मानवी गगरू व पंखुड़ी अवस्थी भी अपने किरदारों में दर्शकों को प्रभावित करने में कामयाब रहे।
फिल्म शुभ मंगल ज्यादा सावधान हंसाने की कोशिश तो करती है लेकिन तमाम चुटकुलों और कायदे के बन पड़े दृश्यों के बाद भी फिल्म अपना एक संपूर्ण असर दर्शकों पर वैसा नहीं डाल पाती जैसा विकी डोनर, जोर लगा के हईशा, बरेली की बर्फी, अंधाधुन बधाई हो जैसी फिल्मों ने डाला। आयुष्मान की पिछली कुछ फिल्में आर्टिकल 15, ड्रीम गर्ल और बाला उनकी बढ़ती ब्रांड वैल्यू के कारण सफल रही हैं, अब उनके सतर्क होने का समय है। कहीं ऐसा न हो बार बार एक नई लीक बनाने की कोशिश में आयुष्मान अपनी असली लीक से भटक जाएं। अमर उजाला मूवी रिव्यू में फिल्म शुभ मंगल ज्यादा सावधान को मिलते हैं तीन स्टार। दो फिल्म के लिए और एक आयुष्मान के हौसले और हिम्मत के लिए।
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