देश में नए मोटर व्हीकल एक्ट के लागू होने के बाद भारी-भरकम चालान कटने लगे हैं। लेकिन नए मोटर व्हीकल एक्ट के तहत ऐसे हेलमेट पहनना अब आपके लिए भारी पड़ सकता है। अगर आप अभी भी लोकल, बिना ISI मार्क वाला हेलमेट इस्तेमाल कर रहे हैं तो उसे तुरंत किसी कचरे में फैंक दीजिये क्योंकि अब तक आप इस हेलमेट को सिर्फ चालान से बचने के लिए पहन रहे थे लेकिन नए कानून के तहत मार्क वाले हेलमेट पहनने पर उतना ही चालान लगेगा जितना की बिना हेलमेट पहनने पर लता है।
आपको बता दे कि बिना हेलमेट टू-व्हीलर चलाने पर 1,000 रुपये का चालान कटेगा । इसलिए आज ही अपना नालकी हेलमेट बदल लीजिये और एक अच्छा ISI मार्क हेलमेट इस्तेमाल करें जो आपको चालान से तो बचाएगा ही साथ ही दुर्घटना होने पर परके सिर्फ की रक्षा भी करेगा।दिल्ली में जगह-जगह सड़क किनारे नकली हेलमेट खूब बिक रहे हैं। 100 रुपये से लेकर 300 रुपये में आपको एक टोपीनुमा नकली हेलमेट आसानी से मिल जायेगा ।
नकली हेलमेट बनाने में घटिया और हल्की क्वालिटी का सामान इस्तेमाल किया जाता है, वहीं इसमें लगा वाइजर (आगे का पारदर्शी हिस्सा) भी UV सुरक्षित नहीं होता, जिसकी वजह से तेज धूप में आंखों की सुरक्षा नहीं हो पाती। इतना ही नहीं रात में सामने से आ रहे वाहनों की हाई बीम तेज रोशनी भी सीधा आंखों पर असर डालती है, जिसकी वजह से आंखों की रोशनी कमजोर पड़ जाती है। जबकि अच्छी गुणवत्ता के ओरिजिनल हेलमेट में UV प्रोटेक्शन वाला वाइजर लगा होता है, जो धूप से आपकी आंखों को सुरक्षित रखता है, साथ ही आपके चेहरे को भी धूप से बचाता है।
हेलमेट निर्माता कंपनी स्टीलबर्ड हेलमेट के एमडी राजीव कपूर बताते हैं कि हमेशा ISI मार्क वाला ही हेलमेट खरीदना और पहनना चाहिए। असली ISI मार्क वाला हेलमेट 300 से 400 रुपये में बन ही नहीं सकता, लेकिन लोकल मार्किट में ISI मार्क वाला सब स्टैंडर्ड हेलमेट मिल रहा है। यह हेलमेट आपको चालान से जरूर बचा सकता है, लेकिन दुर्घटना होने पर आपकी जान नहीं बचा सकता। उनका कहना है कि नकली हेलमेट बेचने का मतलब नकली दवाई बेचने जैसा है। इसलिए हमेशा ओरिजिनल हेलमेट ही खरीदें और पहनें। असली हेलमेट में क्वालिटी और सेफ्टी स्टैंडर्ड्स का पूरा ध्यान रखा जाता है। क्योंकि एक असली हेलमेट कई सेफ्टी टेस्ट से होकर गुजरता है। आंकड़ों के मुताबिक सड़क हादसों में हर साल दस लाख से अधिक लोगों की मौत हो जाती है, क्योंकि हमारे देश के कई राज्यों और जिलों में यातायात पुलिस की सीमित संख्या है। यदि हम बीमा कंपनियों के आंकड़ों की मानें, तो इन हादसों में मरने वालों की संख्या कहीं ज्यादा है।
स्टीलबर्ड हेलमेट के एमडी, राजीव कपूर के मुताबिक, आज देश में करीब 80 फीसदी हेलमेट नकली बिक रहे हैं। लेकिन इनकी पहचान करना बेहद आसान है, अगर कोई आपको 450 रुपये से कम में हेलमेट बेच रहा है, तो समझ जाएं कि आप एक नकली हेलमेट खरीद रहे हैं। क्योंकि कोई भी ISI मार्क वाला हेलमेट इतनी कम कीमत में नहीं बन सकता। सरकार के सुरक्षा मानकों के मुताबिक एक ISI मार्क वाले हेलमेट को बनाने में ही न्यूनतम लागत 450 रुपए आती है।