नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर पिछले दो महीने से ज्यादा दिनों से शाहीन बाग में धरना-प्रदर्शन जारी है। सुप्रीम कोर्ट सोमवार को फिर उन याचिकाओं पर सुनवाई करेगा जिसमें दिल्ली के शाहीन बाग से सीएए का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है। 10 फरवरी को जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने इस मुद्दे पर केंद्र और दिल्ली सरकार तथा पुलिस को नोटिस जारी किया था।
आज वे अपना पक्ष कोर्ट में रखेंगे। मिली जानकारी के मुताबिक शाहीन बाग की महिलाएं भी कोर्ट में अपनी बात रखेंगी।
अनुमति न मिलने पर मार्च स्थगित
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने के लिए रविवार को शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों का प्रस्तावित मार्च अनुमति न मिलने की वजह से स्थगित कर दिया गया था। बाद में दादियों की अगुवाई में प्रतिनिधिमंडल भेजने की भी इजाजत नहीं मिली। इसके बाद प्रदर्शनकारी पुलिस से बातचीत कर लौट गए। प्रदर्शनकारियों में इस कार्यक्रम को लेकर एक राय भी नहीं थी। कुछ लोग मार्च निकालकर जाना चाहते थे, जबकि दूसरा गुट इसका विरोध कर रहा था।
पिछले दिनों गृह मंत्री अमित शाह ने सीएए के विरोधियों से मिलने की इच्छा जताई थी। इसके बाद शनिवार को शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने घोषणा की थी कि रविवार को वे मार्च करते हुए गृह मंत्री के घर जाएंगे। इसके लिए उन्होंने पुलिस को पत्र लिखकर अनुमति भी मांगी थी। दक्षिण-पूर्व जिला पुलिस उपायुक्त आरपी मीणा ने बताया कि उनके पत्र को पुलिस मुख्यालय भेज दिया गया था। उन्हें मुलाकात की अनुमति न मिल पाने की बात बता दी गई। इसके बाद वे धरनास्थल पर लौट गए।
इससे पहले मार्च के आह्वान पर शाहीन बाग में रविवार दोपहर हजारों लोगों की भीड़ जुट गई। पुलिस ने भी मार्च को शाहीन बाग से आगे न जाने देने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। लोकल पुलिस के अलावा अर्धसैनिक बलों की कई कंपनियों को शाहीन बाग में तैनात किया गया था। कई लेयर में बैरिकेडिंग थी। महिलाएं भी हाथ में बैनर और तिरंगा लेकर मार्च के लिए तैयार हो गईं। ऐन मौके पर प्रदर्शनकारियों ने रणनीति बदली और घोषणा कर दी कि पुलिस ने अनुमति दी तो मार्च न निकालकर दादियों की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल गृह मंत्री से मिलने जाएगा। सभी ने इस पर सहमति जताई। मार्च में शामिल महिलाओं को धरनास्थल पर ही रोक दिया गया।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था, कुछ दिन और इंतजार कर लीजिए
मामले में एक अन्य याचिकाकर्ता एवं भाजपा के पूर्व विधायक नंद किशोर गर्ग के अधिवक्ता शशांक देव सुधि ने पीठ से इस मामले में अंतरिम निर्देश देने का अनुरोध किया था। पीठ ने कहा कि ऐसा एकपक्षीय नहीं हो सकता। अधिवक्ता महमूद प्राचा ने पीठ से कहा कि वह भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद की ओर से इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहते हैं। पीठ ने कहा था कि आप जो उचित समझें, करें। सुनवाई के अंतिम क्षणों में जब अधिवक्ता शशांक देव सुधि ने इस मामले में कुछ निर्देश देने की मांग पर जोर देते हुए कहा कि सार्वजनिक सड़कों पर अवरोध की वजह से जनता को असुविधा हो रही है तो पीठ ने टिप्पणी की, यदि आपने 50 से ज्यादा दिन इंतजार किया है तो कुछ दिन और इंतजार कर लीजिए।