
मैं यानी पृथ्वीराज कपूर का बेटा, राज कपूर का भाई और गीता बाली का पति भी था। आप इसे फायदा या नुकसान कुछ भी समझ लीजिए। लेकिन हां इंडस्ट्री में मैंने जो शुरुआत के चार-पांच साल गुजारे, इसमें मेरी पहचान यही रही कि मैं राज कपूर का भाई और गीता बाली का खाविंद हूं। मेरी कोई अपनी हैसियत नहीं थी। मैं नहीं समझता हूं कि ये कोई फायदे वाली बात थी। हां लेकिन ये प्रोत्साहन था कि आदमी और कोशिश करे ताकि अपनी पहचान बना सके।
जब मैंने रेल का डिब्बा फिल्म मधुबाला के साथ की, तो वो बोलीं- तुम इतने पतले हो कि मैं तुम्हारी हीरोइन नहीं लगती हूं, कुछ और लगती हूं तुम अपना वजन बढ़ाओ। मैंने फिर वजन बढ़ाने के लिए बीयर पीना शुरू किया। मैंने जब तुमसा नहीं देखा फिल्म साइन की तो मैंने ये सोचा कि मेरी जिंदगी का आखिरी मौका था। अगर इस मौके को चूक गया तो सब गया। इसके लिए मैंने मूंछ, बाल कटवाए और अपना लुक बदला। मुझे इतना याद है कि हम पिताजी के साथ माटुंगा में जहां रहा करते थे, वहां एक डांस सैलून किस्म का हॉल था। वहां एक लड़की 20 रुपये घंटे के हिसाब से नाचना सिखाती थी। वो लड़की खूबसूरत थी। हम भी जवान थे, 19-20 की उम्र रही होगी।
हमने टैंगो सीखने की कोशिश की पर डांस हमें नहीं आया। सच ये है कि डांस मुझे नहीं आता। पर हां, मुझे म्यूज़िक का शौक बचपन से है। जब मैं बचपन में थियेटर में पिताजी के साथ टूर पर जाया करते थे। छतों पर चांद को देखते हुए मैं बजते म्यूजिक को अपने एक्सप्रेशन देता था। चांद को देखते हुए ये करते हुए अगर किसी की याद आने की बात करूं तो तब से लेकर आज तक मैंने मधुबाला जैसी हसीन लड़की नहीं देखी।