वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में शनिवार को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का दूसरा बजट पेश किया। करीब पौने तीन घंटे लंबे बजट भाषण के आखिर में गला खराब होने की वजह से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आखिरी दो- तीन पृष्ठ नहीं पढ़ पाई और उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष की अनुमति से उसे पढ़ा मानकर सदन के पटल पर रख दिया।
बजट को लेकर विपक्ष और सत्ता पक्ष की प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गईं हैं। बजट पर राहुल गांधी ने कहा कि मुख्य मुद्दा बेरोजगारी का है। मैंने ऐसा कोई रणनीतिक विचार नहीं देखा जिससे हमारे युवाओं को रोजगार मिले। मैंने सामरिक चीजें देखी, लेकिन कोई केंद्रीय विचार नहीं था। यह अच्छी तरह से सरकार का वर्णन करता है। बहुत दोहराव है, बजट भाषण में सरकार की मानसिकता दिखी, सभी बात करते हैं, लेकिन कुछ भी नहीं हो रहा है।
राहुल गांधी ने कहा कि शायद यह इतिहास का सबसे लंबा बजट भाषण था, लेकिन इसमें कुछ भी नहीं था, यह खोखला था।
वित्त मंत्री ने लच्छेदार भाषण दिया, गणित स्पष्ट करने में विफल रहीं : कांग्रेस
कांग्रेस ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए पेश हुए आम बजट को लेकर दावा किया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लच्छेदार भाषण दिया, लेकिन वह बजट संबन्धी गणित को स्पष्ट करने में विफल रहीं। पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा ने ट्वीट कर कहा कि किसानों की आय दोगुना करने का वित्त मंत्री का दावा खोखला है और तथ्यात्मक वास्तविकता से परे है । कृषि विकास दर दो फीसदी हो गई है। आय दोगुनी करने के लिए कृषि विकास दर को 11 फीसदी रहना होगा।
उन्होंने दावा किया कि निर्मला सीतारमण बजट संबंधी गणित को स्पष्ट करने में विफल रही हैं। नवंबर महीने तक जो राजस्व आया है वह बजट आकलन का सिर्फ 45 फीसदी है। शर्मा ने वित्त मंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि लच्छेदार भाषा और ऊंची आवाज में बोलना और पुरानी बातें करने का कोई मतलब नहीं।
माकपा नेता सीताराम येचुरी ने भी कहा कि सिर्फ लच्छेदार बातें, नारे हैं, लोगों को दुर्दशा और बढ़ती बेरोजगारी से बाहर निकालने के लिए कुछ भी ठोस नहीं है।