राजनाथ सिंह की अपील- भारत-रूस मिलकर करें रक्षा क्षेत्र में उत्पादन

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रूस की राजधानी मॉस्को में मंगलवार को रूस के उद्योग और व्यापार मंत्री डेनिस मांतुरोव के साथ ‘रूस रक्षा उद्योग सहयोग सम्मेलन’ में राजनाथ ने कहा कि दोनों देशों को मिलकर रक्षा उत्पादन करना चाहिए। साथ ही इन उत्पादों के निर्यात लिए एक मंच भी खड़ा करना चाहिए। इससे भारत और रूस दोनों ही बढ़त हासिल कर सकते हैं।
राजनाथ ने आगे कहा कि ‘भारत लंबे समय से रक्षा के मूल (मिग, एके-47) उत्पाद बनाने वाले देश के साथ साझेदारी करना चाह रहा था, ताकि मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट से जुड़कर वे हमारे संसाधनों का लाभ उठा सकें। दोनों देश मिलकर साथ मिलकर ऐसा मंच खड़ा कर सकते हैं, जिससे यह रक्षा उत्पाद दुनिया के दूसरे देशों को निर्यात किया जा सकें।’

भारत को लघु उद्योगों को रूस के समर्थन की जरूरत
मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) कंपनियों के प्रमुखों को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘भारत सरकार ने उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में दो डिफेंस कॉरिडोर तैयार किए हैं। इनमें निवेश के लिए हम साथियों को मौका देना चाहते हैं। हम अपने रक्षा क्षेत्र को रूस की विकसित और उभर रही तकनीक के माध्यम से आधुनिक बनाना चाहते हैं। भारत के लघु-मध्यम उद्योग रूस के समर्थन से अब वैश्विक सप्लाई चेन का अंग बनना चाहते हैं।’

मोदी-पुतिन के बीच भी हुआ था रक्षा समझौता
इस साल सितंबर महीने में पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच रक्षा क्षेत्र से जुड़ा एक अंतर- सरकारी समझौता (आईजीए) हुआ। इसके तहत रूस भारत को सोवियत-रूसी मूल के हथियारों-उत्पादों के लिए स्पेयर, पुर्जे और दूसरे जरूरी समान बनाने में सहायता कर रहा है। इसी के संबंध में राजनाथ ने कहा कि आईजीए जैसे समझौतों के ढांचे के जरिए रूसी उद्योग-भारत के साथ आसानी से जुड़ सकते हैं।