प्रयागराज।(www.arya-tv.com) शैक्षिक सत्र 2019-20 में माध्यमिक और परिषदीय स्कूलों में पठन-पाठन को और बेहतर बनाने के लिए कई कार्यक्रम व योजनाएं शुरू किया गया। कुछ कार्यक्रमों के क्रियान्वयन का असर भी दिखाई पड़ा। वहीं कुछ का क्रियान्वयन जल्द होने वाला है। माध्यमिक विद्यालयों में मासिक परीक्षाओं के परिणाम के आधार पर सामान्य से कमजोर छात्र-छात्राओं के लिए उपचारात्मक शिक्षण की व्यवस्था की गई। विद्यार्थियों को सामाजिक सरोकारों से जोडऩे के लिए कई अभियान चलाए गए।
दो दिन लगातार स्कूल न आने वाले छात्र-छात्राओं के अभिभावकों से संवाद स्थापित करने और स्मार्ट क्लासेज की व्यवस्था भी की गई। वहीं, परिषदीय स्कूलों के बच्चों में तीन कार्यक्रमों से सुधार की उम्मीद है। इसमें ‘लर्निंग आउटकम’ के जरिए कक्षा पांच से आठ तक के कमजोर छात्र-छात्राओं में सुधार की कवायद चल रही है। वहीं अकादमिक रिसोर्स पर्सन (एआरपी) और निष्ठा के तहत प्रशिक्षित शिक्षकों के जरिए विद्यार्थियों को विशेष सपोर्ट दिया जाएगा। छात्राओं के लिए सेल्फ डिफेंस कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है। अब विभाग वर्ष 2019 की खट्टी-मीठी यादों को भुलाकर आगे बढऩे की ओर अग्रसर हैं।
परिषदीय स्कूलों में लर्निंग आउटकम की परीक्षा आठ नवंबर को हुई। इसमें कक्षा पांच से आठ तक के विद्यार्थी शामिल हुए। इस परीक्षा के जरिए चिह्नित किए गए कमजोर विद्यार्थियों को अंग्रेजी, गणित और विज्ञान विषयों के लिए उपचारात्मक कक्षाएं शुरू की जाएंगी। इसके लिए प्रत्येक विकास खंड से 20 स्कूल चयनित किए जा रहे हैं। वहीं, विद्यार्थियों को स्पेशल सपोर्टिंग के लिए 64 अकादमिक रिसोर्स पर्सन (एआरपी) का चयन किया गया है। इसमें से 56 एआरपी ने कार्यभार संभाल लिया है। निष्ठा कार्यक्रम के तहत सभी सेवारत शिक्षकों की ट्रेनिंग ब्लॉकवार कराने की कवायद चल रही है। इससे वह विषयों को आसानी से समझ सकेंगे और उसे ग्रहण कर सकेंगे।