यूरिया उत्पादन में भारत बनने वाला है आत्मनिर्भर

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यूरिया उत्पादन क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए 1974 में शुरू हुई नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (एनएफएल) ने चालू वित्त वर्ष की बीती छमाही में 27 लाख टन यूरिया की बिक्री कर नया रिकॉर्ड बनाया है। साथ ही 2020-21 तक 70 लाख टन उर्वरक बिक्री का लक्ष्य रखा है। यह लक्ष्य कैसे हासिल होगा, इस पर अमर उजाला के शिशिर चौरसिया ने एनएफएल के अध्यक्ष एवं एमडी मनोज मिश्रा से बातचीत की।

प्रश्न- सरकार ने 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है। इसमें एनएफएल कैसे मदद करेगा?
उत्तर- जहां तक उर्वरक उद्योग का सवाल है तो हम दो प्रकार से किसानों की मदद कर सकते हैं। पहला- हम उन्हें सभी तरह के कृषि उत्पाद उनकी जरूरत के मुताबिक एक ही जगह उपलब्ध कराने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरा- किसानों को कृषि संबंधी नवीनतम जानकारी गांव-गांव में कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से दे रहे हैं। इसका लाभ उठाकर किसान पैदावार बढ़ाने, फसलों की बीमारियों और कीट-पतंगों से रक्षा करने के उपाय जानकार अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। हम किसानों को मिट्टी परीक्षण की सुविधा भी निशुल्क देते हैं, जिससे वे अपनी मिट्टी की आवश्यकता के अनुसार उर्वरक का उपयोग कर पैदावार बढ़ाएं।

प्रश्न- वर्षों से बंद पड़े उर्वरक कारखानों को सरकार दोबारा चलाने की योजना पर काम कर रही है। इससे हम यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भर हो सकेंगे?
उत्तर- बिल्कुल हो सकेंगे… अभी सरकार ने मेक इन इंडिया पहल के अंतर्गत फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एफसीआईएल) के बंद पड़े रामागुंडम, तालचर, गोरखपुर, बरौनी और सिंदरी स्थित कारखानों को फिर से चलाने की परियोजना शुरू की है। एनएफएल भी इसी पहल के अंतर्गत तेलंगाना के रामागुंडम में इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड (ईआईएल) एवं एफसीआईएल के साथ मिलकर यूरिया प्लांट लगा रहा हैं। जहां तक आत्मनिर्भरता की बात है तो अभी देश में हर वर्ष यूरिया की कुल मांग 320 लाख टन का है, जबकि उत्पादन करीब 240 लाख टन होता है और शेष का आयात होता है। मेरा मानना है कि एफसीआईएल के सभी पुराने कारखानों में फिर से उत्पादन शुरू हो जाने के बाद देश की कुल यूरिया उत्पादन क्षमता 320 लाख टन से अधिक हो जाएगी। फिर हम इसमें आत्मनिर्भर हो जाएंगे।

प्रश्न- रामागुंडम कारखाने की क्या प्रगति है और वहां उत्पादन शुरू होने के बाद एनएफएल की क्या रणनीति होगी?
उत्तर- रामागुंडम कारखाने की परियेाजना पर तेजी से काम चल रहा है। अभी जो रिपोर्ट मिली है, उसके मुताबिक अगले साल मार्च तक वहां उत्पादन शुरू हो जाने की पूरी संभावना है। उससे पहले ही हमने वहां बनने वाले यूरिया को बेचने की पुख्ता तैयारी कर ली है। इसके लिए हमने हैदराबाद में अपना क्षेत्रीय कार्यालय शुरू किया है। अब हमारा किसान यूरिया ब्रांड दक्षिण भारत में भी अपनी पकड़ बना चुका है। मुझे पूरी उम्मीद है कि रामागुंडम का जो 13 लाख टन यूरिया बाजार में मार्च के बाद आने वाला है, उसे हम दक्षिण भारत के राज्यों के किसानों को आसानी से उपलब्ध करा देंगे।

प्रश्न- रासायनिक खाद बनाने वाली कंपनियों का सब्सिडी बकाया सरकार के पास बढ़ रहा है। इसमें एनएफएल की क्या स्थिति है?
उत्तर- आपने ही कहा कि सभी रासायनिक खाद बनाने वाली कंपनियों का सब्सिडी बकाया सरकार के पास बढ़ रहा है। इससे हम भी अछूते नहीं हैं। दरअसल, सरकार की तरफ से सब्सिडी बिल का लगातार भुगतान होता रहता है और नई सब्सिडी के बिल फिर से जनरेट होते रहते हैं। इसलिए यह आंकड़ा भी लगातार बदल रहा है। हालांकि, उर्वरकों में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) सिस्टम लागू होने के बाद खाद बिकने पर ही सब्सिडी मिलती है। लेकिन अभी पिछले साल के मुकाबले सब्सिडी का बकाया ज्यादा होने का मुख्य कारण हमारी बढ़ी बिक्री है। 2015 के खरीफ मौसम में हमने कुल 17 लाख टन उर्वरक की बिक्री की थी, जो 2019 के खरीफ मौसम में बढ़कर 27 लाख टन हो गया है। जब बिक्री बढ़ेगी तो सब्सिडी का आंकड़ा भी बढ़ेगा। मुझे पूरी उम्मीद है कि इसमें सरकार जल्द ही कुछ नियम बनाएगी या कुछ स्पेशल बैंकिंग सुविधा मुहैया करा सकती है, जिससे सब्सिडी मद में जो बकाया है, उसका जल्द भुगतान हो जाए।

प्रश्न- विजन 2020-21 में आपने उर्वरक बिक्री का लक्ष्य 70 लाख टन कर दिया है। इसे कैसे प्राप्त करेंगे?
उत्तर- हम इसे आसानी से प्राप्त कर लेंगे। मैंने आपको बताया कि हम रामागुंडम में जो संयुक्त उपक्रम लगा रहे हैं, वहां अगले साल मार्च में उत्पादन शुरू हो जाएगा। वहां फिलहाल 13 लाख टन उत्पादन होगा, जिसे चरणबद्घ तरीके से बढ़ाया जाएगा। देखिए… इसी साल खरीफ मौसम में हमने अपनी बिक्री को 27 लाख टन तक पहुंचा दिया है, जो 2014-15 की बिक्री के मुकाबले 57 फीसदी ज्यादा है। हमने तय किया है कि हम यूरिया उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करेंगे और अपने कारखानों में 100 फीसदी से भी ज्यादा क्षमता उपयोग करेंगे। इसके साथ ही हम यूरिया के अलावा डीएपी, एनपीके , एपीएस, एमओपी, बेंटोनाइट सल्फर और कंपोस्ट आदि सभी प्रकार के उर्वरक किसानों को उपलब्ध कराएंगे।