रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स ( RPF ) ने एक बड़े टिकट रैकेट का पर्दाफाश किया है। यह रैकेट टिकटों की धांधली कर प्रति माह करोड़ों रुपये कमाता था। इस पैसे को आतंकी फंडिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता था। कहा जा रहा है कि इसके तार पाकिस्तान, बांग्लादेश और दुबई से जुड़े हो सकते हैं। इस घोटाले के जरिए हर महीने 10 से 15 करोड़ रुपये का फ्रॉड हो रहा था।
27 लोग हुए गिरफ्तार
आरपीएफ ने कथित ‘सॉफ्टवेयर डिवेलपर’ को गिरफ्तार कर लिया है। इस संदर्भ में आरपीएफ ने कहा कि, ‘झारखंड के गुलाम मुस्तफा को भुवनेश्वर से गिरफ्तार कर लिया गया है। सोमवार को उसे न्यायिक हिरासत में भेजा गया था। गुलाम मुस्तफा के अतिरिक्त 27 और लोगों को गिरफ्तार किया गया है। मुस्तफा से दो लैपटॉप बरामद किए हैं, जिनमें एएनएमएस नाम का एक सॉफ्टवेयर है। इसी सॉफ्टवेयर के जरिए यह रैकेट बड़ा खेल करता था। इतना ही नहीं, मुस्तफा के लैपटॉप में एक ऐसा एप्लिकेशन भी मिला है, जिसके जरिए फर्जी आधार कार्ड तैयार किए जाते थे।
ऐसे होता था फ्रॉड
हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के अनुसार, मामले की जांच से आईबी और एनआईए भी जुड़ गए हैं। बता दें कि सैकड़ों आईडी के जरिए यह फ्रॉड किया जा रहा था। रैकेट केवल 1.48 मिनट में तीन टिकट बुक कर लेता था। कुछ ही मिनतों में रैकेट हजारों टिकटों पर हाथ साफ कर लेता था। वहीं अगर मैन्युअली टिकट बुक करते हैं, तो एक टिकट को बुक करने में 2.55 मिनट तक का समय लगता है।
आम यात्रियों पर असर
यह गैंग कई बार 85 फीसदी टिकट अकेले ही बुक कर लेता था। इसके बाद इन टिकटों को यात्रियों को अपनी इच्छा अनुसार किसी बी दाम में बेचा जाता था। इसकी वजह से इस जरूरतमंदों को यात्रा के लिए टिकट नहीं मिल पाते थे। हालांकि, इससे रेलवे की कमाई पर कोई असर नहीं पड़ता था। लेकिन आम यात्रियों को इसका निकसान होता है क्योंकि उनसे काफी रकम ऐंठ ली जाती थी।
पूछताछ में सामने आई ये बात
इस सॉफ्टवेयर के जरिए आईआरसीटीसी की ओर से टिकट फ्रॉड रोकने के लिए लागू सभी तरीकों का तोड़ निकाल लिया गया था। इसके जरिए कैप्चा और ओटीपी के बिना ही लोग टिकट बुक कर लिया करते थे। आरपीएफ की ओर से की जा रही पूछताछ में पता चला है कि पूरे रैकेट के तार आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े हुए हैं। मुस्तफा पाकिस्तान में सक्रिय तबलीक-ए-जमात का समर्थक है।
IRCTC की वेबसाइट पर बनाई थी 563 आईडी
मामले में आरपीएफ के डीजी अरुण कुमार ने बताया कि मुस्तफा ने आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर 563 आईडी बना रखी थीं और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की 2,400 शाखाओं और 600 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में उसके खाते थे। करीब 20,000 एजेंट्स और अन्य लोगों ने इस रैकेट से सॉफ्टवेयर खरीदा था। मामले में एक भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी पर भी जांच एजेंसियों की नजर है।