बच्चों को चुस्त और तंदरुस्त रखना है तो सिखाएं ये योग

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प्रतिस्पर्धा के दौर में हर कोई सफलता की सीढ़ियां चढ़ने में मशगूल है। फिर चाहे रास्ता पथरीला हो या सुगम। आलम यह है कि बहुतेरे माता-पिता भी बच्चों को सफलता की सीढ़ियां अपने दम-खम पर चढ़ने के लिए विवश करते हैं। इसके लिए वे उनमें पढ़ाई के अलावा हुनर तलाशते हैं। वे चाहते हैं कि उनके बच्चे बहुत-सी नई चीजों से अवगत हों। बहु-भाषाई हों, एक्टिंग, डांसिंग, रोबोटिक्स, कोडिंग, मार्शल आर्ट्स और जिम्नास्टिक आदि से अवगत हों। इसके लिए शहरों में विशेष स्कूल भी हैं। देखा जाए तो माता-पिता भी गलत नहीं हैं। उनकी चाहत है कि बच्चे ऑल राउंडर बनें और प्रतिस्पर्धा व तकनीकी युग में सफल हों। इसके लिए बचपन से ही बच्चों को ट्रेनिंग दी जा रही है। इस क्रम में बच्चों का बचपन खो रहा है। जाहिर है, इतनी गतिविधियों में शामिल होने पर बच्चों को ऊब होती होगी। वे कहीं न कहीं अकेला और उदास महसूस करते होंगें। आखिर हमने उन पर कितना बोझ लाद दिया है। ऐसे में आप बच्चों को योग से जोड़ सकती हैं। योग बच्चों के सर्वांगीण विकास में मदद करता है।

योग से शारीरिक लाभ
नियमित योग के अभ्यास से बच्चे के शरीर में लचीलापन आएगा। इसका प्रत्येक आसन बच्चों को सिखाता है कि कैसे विविध अंग सांसों से तालमेल करके संपूर्ण शारीरिक तंत्र को सुचारू करते हैं। योग से बच्चों में जागरूकता आती है। इससे उन्हें अपने शरीर का सम्मान, प्यार और देखभाल करने में मदद मिलती है।
इसके अलावा योग से बच्चे की रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है। भविष्य में रोग उसके आस-पास भी नहीं फटकेंगे। योग एक नेचुरल बूस्टर है, जो प्रतिरोधक क्षमता में सुधार करता है और एक मजबूत रक्षा तंत्र बनाने में मदद करता है। आमतौर पर बच्चों को पेट दर्द, अपच, पेट फूलना और कब्ज की शिकायत रहती है। नियमित योग करने से बच्चों में यह शिकायतें शून्य हो जाती हैं और पाचन तंत्र मजबूत होता है।
इससे हृदय में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों से भरपूर रक्त का अच्छा संचालन होता है। खराब जीवन-शैली के चलते बच्चों में कई रोग पनपते हैं। साथ ही टीवी या मोबाइल की स्क्रीन पर चिपके रहने से बच्चों को मोटापा जकड़ लेता है। इनका बेहतर उपाय है- योग।