-अवधेश पुरोहित
भोपाल। भाजपा सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान के शासनकाल में इनके प्रिय मित्र बुन्देलखण्ड के सागर के लोकप्रिय जनप्रिय जन जन के नेता भूपेन्द्र सिंह के परिवहन मंत्री और गृहमंत्री रहते उनके वैभव ही नहीं समृद्धि में हुए इजाफा को देखते हुए बर्तमान में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार के कई मंत्रियों में परिवहन विभाग का मंत्री पद पाने की चाहत उछाल मार रही है? वैसे इस कमाई बाले विभाग के नाम से चर्चित विभाग को पाने बाले मंत्रियों की सूची लम्बी है। लेकिन अभी हाल में राजधानी के बिल्डर के यहां पडे आयकर के छापों के बाद सुर्खियों रहे सहकारिता मंत्री अरविन्द भदौरिया के नाम को लेकर चर्चाएं गर्म हैं। क्यों न हो भदौरिया का भाजपा ही नहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रति जिस तरह का समर्पण भाव ही नहीं त्याग है।
उसका लाभ पाने की इच्छा भदौरिया के मन में हिलोरे ही मार ही रही होगी? वैसे अरविंद सिंह भदौरिया का शिवराज सिंह चौहान की प्रति समर्पण भाव का किस्सा कोई अभी पिछले दिनों में हुए राजनैतिक उठा पटक के दौरान अरविंद भदौरिया की जिस तरह की भूमिका रही उसकी बजह से तो वह चर्चाओं है, हालांकि भदौरिया की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रति समर्पण की भूमिका राज्य में 2008 के विधानसभा के चुनाव के दौरान उस समय भी खूब सुर्खियों में रही थी जब जिन सुश्री उमा भारती की सूज बूझ और मेहनत की बजह से इस मध्यप्रदेश को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के उस शासनकाल से मुक्ति मिली थी। जिस दिग्विजय सिंह के शासनकाल को भाजपा से पहले कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय में बैठने बाले कांग्रेस के ही नेताओं के द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को बंठाठार से संबोधित करना शुरु कर दिया था? वहीं नहीं वह कांग्रसी नेता आज भी दिग्विजय सिंह को बंठाठार के नाम से संबोधित करने से नहीं चुकते हैं?यही नहीं अनेकों बार इस मुद्दे को लेकर कांग्रसी नेताओं में झडप होते भी देखी गई? कांग्रेसियों के कथन के अनुसार उसी शासनकाल से मुक्ति दिलाने बाली सुश्री उमा भारती के सत्ता पर काबिज होते ही उनको हटाने की जो मुहिम की इसलिए शुरुआत हुई थी क्योंकि उन्होंने दिग्विजय सिंह की सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ जनता को 2003 के विधानसभा के समय जो घोषणा पत्र में यह आश्वासन दिया था उसमें कहा गया था कि उनकी सरकार बनने के बाद जनता को भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने का वायदा किया गया था।
अपने इस बचन के अनुसार सुश्री भारती ने सत्ता पर काबिज होते ही भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ मुहिम चलाने शुरु की तो उमा भारती की मुहिम से घबराकर अनेकों नेताओं ने अपने कारोबार को बेचकर भोपाल में रहने का मन बनाने में लग गए थे। इन नेताओं के एकत्र हो जाने के बाद जो मुहिम भारती के खिलाफ चली तो उन्हें सत्ता से बेदखल कर पार्टी छोडने के लिए मजबूर होना पडा था? भाजपा छोडने के उमा भारती ने अपनी स्वंय की पार्टी भारतीय जनशक्ति पार्टी के वैनर तले 2008 का विधानसभा चुनाव लडा था। उसी दौरान बुन्देलखण्ड के छतरपुर की बडामलहारा विधानसभा क्षेत्र में अरविंद भदौरिया और जिले के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ,भारी पुलिस सहित भदौरिया के साथ कार्यकर्ताओं ने उमा भारती को एक मडिया (मंदिर) में घेर लिया था? जिसकी सूचना छतरपुर के एक दैनिक के सम्पादक के पुत्र ने भोपाल के एक पत्रकार को देर शाम को दी साथ ही उमा भारती के साथ अनहोनी होने की अशंका भी व्यक्त की छतरपुर के युवा पत्रकार से मिली जानकारी से राजधानी के पत्रकार ने पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी को सूचना दी और भारती को घेर कर बंधक बनाने और उनके साथ अनहोनी की संभावना व्यक्त की।
साथ ही भोपाल में मौजूद उमा भारती की पार्टी के पदाधिकारियों को इस घटना की जानकारी देने के साथ ही पार्टी के महामंत्री प्रहलाद पटेल से भी संपर्क कर उन्हें भी घटना से अवगत कराया गया। इसके बाद पटेल के नेतृत्व में बडा मलहरा में उमा समर्थकों के हजारों की संख्या में जमा होने के बाद अरविंद भदौरिया के बीच जमकर घमासान हुआ था? इस संघर्ष के चलते जहां भदौरिया के समर्थकों उमा भारती के समर्थकों ही नहीं बल्कि भारती के भतीजे के वाहनों को छति पंहुचाने का काम किया तो गुसाए उमा भारती के समर्थकों ने अरविंद भदौरिया के वाहनों को छति तो पंहुचाई ही वहीं अरविंद भदौरिया के साथ अभ्रदता करते हुए वहां से उन्हें खदेड कर उन्हें जिस हालत में वहां भागने को मजबूर किया था। इसका सही खुलासा या तो अरविंद भदौरिया ही कर सकते हैं या फिर उमा भारती के समर्थक बता सकते हैं ।
इस घटना के बाद जिस तरह से घटना का बखान प्रत्यक्षदर्शी ने बताया था उनके अनुसार वहां उमा भारती के समर्थकों के भारी तदात में पंहुचते ही पुलिस अधीक्षक और उनके साथ गए पुलिस फोर्स तो भदौरिया को वहीं छोड़कर भाग खडा हुआ था या मूक दर्शक बना हुआ था? इस संघर्ष के बाद भदौरिया को लोगों ने जिस हालत में भागने देखा था उसका बखान शब्दों में करना ठीक नहीं समझता हूं। ऐसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए समर्पण भाव से कार्य करने बाले शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल के सदस्य अरविंद भदौरिया यदि लगभग चालीस करोड़ प्रतिदिन की अवैध वसूली की कमाई बाले परिवहन विभाग की कमान संभालने की इच्छा पाले हुए हैं? तो कोई बडी बात नहीं है हलांकि शिवराज सिंह चौहान के पिछले कार्यकाल के दौरान तत्कालीन परिवहन मंत्री भूपेन्द्र सिंह के परिवहन विभाग की कमान संभालने के बाद उनके वैभव और समृद्धि के साथ -साथ सागर नगर के मकरौनिया से दमोह नाके ही नहीं यदि सागर के निवासियों की बात पर विश्वास करें तो दमोह नाके से झांसी की ओर बने फोर लैन के आसपास की कई एकड जमीन भी सिंह द्वारा खरीदने जाने की चर्चाएं लोग चटखारे लेकर करते नजर आ रहे हैं।
ऐसी स्थिति में अरविंद भदौरिया ही नहीं और भी मंत्रियों के दिल में परिवहन विभाग की कमान संभालने की इच्छा उझाल तो लगाएगी ही? मगर सबाल यह है कि अभी इस विभाग की कमान ज्योतिरादित्य राजे सिंधिया के समर्थक गोविद सिंह राजपूत के पास है ऐसे में इस तरह की खबरें का सुर्खियों में आने का औचित्य समझ में नहीं आरहा है आखिर इस तरह की खबरों को चर्चाओं कौन और किसकी शह पर प्लांटिट कर रहा है?