एक फरवरी 2020 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण केंद्रीय बजट 2020 पेश करेंगी। यह बजट खास महत्व रखता है क्योंकि यह धीमी अर्थव्यवस्था, खराब मांग और लगभग ग्यारह वर्षों में सबसे कम जीडीपी की पृष्ठभूमि में पेश किया जाएगा। इस बजट से टैक्स में कटौती की उम्मीद की जा रही हैं। बीते 50 सालों में भारत में इनकम टैक्स रेट में भारी कटौती हुई है। साल 1970 में जहां कर 93.5 फीसदी था, वहीं अब यह 42.7 फीसदी पर आ गया है। वर्ष 1997 में यह 30 फीसदी पर था। पिछले बजट के दौरान 1971 के बाद पहली बार इसकी दरें बढ़ी थीं।
1971 में था 93.5 फीसदी टैक्स
वर्ष 1971 और 1974 में भारत में कांग्रेस की सरकार थी। उस समय वित्त मंत्री यशवंतराव चव्हाण ने बजट पेश किया था। 1971 में आयकर 85 फीसदी था और सरचार्ज 10 फीसदी। इस तरह कुल टैक्स 93.5 फीसदी था। इसके बाद साल 1974 में उन्होंने आयकर में कटौती की थी और यह 70 फीसदी हो गया था। वहीं सरचार्ज 10 फीसदी ही था। इस तरह यह कुल 77 फीसदी हो गया था। टैक्स में कटौती को कम करने के लिए डायरेक्ट टैक्स इंक्वायरी कमेटी ने यह सुझाव दिया था।
बता दें कि 1973-74 के बजट को काला बजट की संज्ञा दी जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि उस वक्त यशवंतराव चव्हाण द्वारा पेश किए गए बजट में 550 करोड़ से ज्यादा का घाटा था। इस बजट में चव्हाण ने 56 करोड़ रुपये में कोयला खदानों, बीमा कंपनियों व इंडियन कॉपर कॉर्पोरेशन का राष्ट्रीयकरण किया था।
1976 में था 66 फीसदी टैक्स
1976 में भारत के वित्त मंत्री चिदंबरम सुब्रमण्यम थे। इस दौरान आयकर 60 फीसदी था और सरचार्ज 10 फीसदी। यानी भारत में कुल आयकर 66 फीसदी था। बेहतर कर अनुपालन के लिए उन्होंने टैक्स में कटौती की थी।
1984 और 1985 में पूर्व वित्त मंत्री ने इतना कम किया था टैक्स
साल 1984 में भारत के पूर्व वित्त मंत्री वीपी सिंह ने आयकर में कटौती की थी। उन्होंने आयकर 60 फीसदी से घटाकर 55 फीसदी कर दिया था और सरचार्ज 12.5 फीसदी। इस तरह कुल चैक्स 61.9 फीसदी था। बेहतर कर अनुपालन के लिए उन्होंने टैक्स में कटौती की थी। साथ ही स्थिर आय वाले लोगों को इसका फायदा पहुंचाने के लिए उन्होंने कटौती की थी। इसके बाद 1985 में उन्होंने फिर इसमें कटौती की थी। तब आयकर 55 से घटाकर 50 फीसदी और सरचार्ज शून्य हो गया था। इस तरह कुल टैक्स 50 फीसदी ही थी।
पूर्व वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने इतना कम किया था टैक्स
भारत के प्रधान मंत्री रह चुके और 1992 में देश के पूर्व वित्त मंत्री मनमोहन सिंह द्वारा बजट पेश किया गया था। उन्होंने आयकर में 10 फीसदी की कटौती की थी, जिसके बाद यह 40 फीसदी पर आ गया था। साथ ही सरचार्ज 12 फीसदी किया था, जिसके बाद कुल आय 44.8 फीसदी हो गया था। वॉलंटरी कर अनुपालन के लिए और चेलिया कमेटी के सुझावों के बाद इसमें कटौती की गई थी।
इससे पहले 1991 में भी मनमोहन सिंह ने बजट पेश किया था, जिसे उदारीकरण बजट कहा जाता है। तब मनमोहन सिंह ने देश में विदेशी कंपनियों को कारोबार करने के लिए खुली छूट दे दी थी। उस वक्त से ही देश में उदारीकरण का दौर शुरू हुआ था। भारतीय कंपनियों को भी देश के बाहर व्यापार करना आसान हुआ था। कस्टम ड्यूटी को 220 फीसदी से घटाकर के 150 फीसदी पर लाया गया था। इस बजट के दो दशक बाद भारत की जीडीपी में रफ्तार देखने को मिली थी।
पी. चिदंबरम ने भी की थी आयकर में कटौती
साल 1997 में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने भारत में बजट पेश किया था। उन्होंने आयकर 40 फीसदी से घटाकर 30 फीसदी कर दिया था और सरचार्ज शून्य था। इस तरह तब कुल टैक्स 30 फीसदी था। इस बजट को सपनों का बजट भी कहा जाता है। तब वित्त मंत्री ने आयकर और कंपनी कर में कटौती करने की घोषणा की थी।
निर्मला सीतारमण ने 50 साल बाद बढ़ाया था टैक्स
साल 2019 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपना पहला बजट पेश किया था। 1971 के बाद पहली बार भारत में टैक्स बढ़ाया गया था। उन्होंने आयकर 30 फीसदी और सरचार्ज 37 फीसदी कर दिया था। सरचार्ज के अलग-अलग रेट थे। 37 फीसदी सबसे उच्चतम था और सेस चार फीसदी था। उन्होंने कहा था कि ज्यादा कमाई वाले लोगों को देश की प्रगति के लिए ज्यादा टैक्स चुकाना चाहिए, इसलिए इसमें बढ़ोतरी की जा रही है। है।