निर्भया के वकील ने कहा- भगवान नहीं राष्ट्रपति या सुप्रीम कोर्ट के जज

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निर्भया के दोषी एक फरवरी को तय की गई फांसी की सजा से बचने के लिए रोजाना नए दांव चल रहे हैं। बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट ने दोषी अक्षय कुमार सिंह की सुधारात्मक याचिका खारिज कर दी तो यह दांव भी नाकाम होने के बाद दोषियों के वकील एपी सिंह ने कहा, यह फैसला देने वाले सुप्रीम कोर्ट के ये पांचों जज हों या राष्ट्रपति, वे भगवान नहीं हैं। ऐसा नहीं है कि वे गलती नहीं कर सकते हैं।

दोषियों के वकील एपी सिंह ने कहा, अक्षय की सुधारात्मक याचिका के लिए दिए गए आधारों से कोर्ट सहमत नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि वह दोषी पवन कुमार गुप्ता के नाबालिग होने से संबंधित एक समीक्षा याचिका दायर करेंगे। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एनवी रमना की पांच सदस्यीय पीठ ने कहा, हमने सुधारात्मक याचिकाओं और संबंधित दस्तावेजों पर गौर किया है।

हमारी राय में याचिका में तय मानदंडों के तहत कोई मामला नहीं बनता है, जिनका 2002 के रूपा अशोक हुर्रा बनाम अशोक हुर्रा एवं अन्य के मामले में इस अदालत के फैसले में संकेत दिया गया था। ऐसे में सुधारात्मक याचिका खारिज की जाती है। शीर्ष अदालत बीते साल दिसंबर में अक्षय की समीक्षा याचिका भी खारिज कर चुका है।

…इसलिए टल सकती है फांसी
नियमों के मुताबिक, अगर किसी मामले में एक से ज्यादा दोषियों को फांसी दी जानी है, तो किसी एक की याचिका लंबित रहने तक सभी की फांसी पर कानूनन रोक लगी रहेगी। निर्भया केस भी ऐसा ही है, चार दोषियों को फांसी दी जानी है। एक फरवरी को फांसी इसलिए भी नामुमकिन है, क्योंकि किसी भी दोषी को फांसी देने से 14 दिन पहले उसे इसके बारे में बताना जरूरी होता है।

मुकेश सिंह के सभी विकल्प खत्म हो चुके हैं, जबकि विनय शर्मा की दया याचिका अभी विचाराधीन है। वहीं अक्षय सिंह के पास दया याचिका का विकल्प है। जबकि पवन गुप्ता के पास सुधारात्मक और दया याचिका दोनों का विकल्प है।

दोषियों के खिलाफ लूट और अपहरण का भी केस
दोषियों के वकील एपी सिंह ने हाल ही में पटियाला हाउस कोर्ट को बताया था कि पवन, मुकेश, अक्षय और विनय को लूट के एक मामले में निचली अदालत ने 10 साल की सजा सुनाई थी। इस फैसले के खिलाफ अपील हाईकोर्ट में लंबित है। जब तक इस पर फैसला नहीं होता जाता, दोषियों को फांसी नहीं दी जा सकती।

निर्भया की वकील बोलीं, उम्मीद है एक फरवरी को फांसी होगी
वहीं, निर्भया की वकील सीमा कुशवाहा ने कहा कि दोषियों के पास सिर्फ दया याचिका का ही विकल्प है। हम फांसी की तारीख के बेहद करीब हैं। अब दोषियों को किसी से कोई राहत नहीं मिलने वाली है। अब सिर्फ दया याचिका ही विकल्प है। मेरा मानना है कि उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी जाएगी।

उम्मीद है कि दोषियों को एक फरवरी को फांसी दी जाएगी। दोषियों के वकील का तर्क है कि उन्होंने दया याचिका दी है, इसलिए दोषियों को फांसी नहीं दी जा सकती है। सीमा ने कहा, दोषियों नेे सिर्फ दया याचिका ही दी है और यह राष्ट्रपति के समक्ष लंबित नहीं है।
क्या मुकेश को कल हो सकती है फांसी?
पवन जल्लाद के तिहाड़ जेल पहुंचने के बाद से जेल में यह चर्चा है कि क्या एक फरवरी को निर्भया के एक दोषी मुकेश को फांसी दी जा सकती है। एक के बाद एक कानूनी बाधाएं सामने आने से इस विकल्प पर चर्चा चल रही है। हालांकि जेल अधिकारी इस पर चुप्पी साधे हुए हैं।

जेल के सूत्रों का कहना है कि निर्भया के चारों दोषियों को एक ही दिन फांसी न देकर अलग अलग दिन फांसी पर लटकाये जाने पर विचार हो रहा है। इस पर जेल अधिकारियों खुले तौर पर कुछ भी नहीं कह रहे हैं।

कुछ अधिकारियों का कहना है कि अलग अलग फांसी देने में कोई कानूनी बाधा नहीं है न ही जेल मेन्युअल में किसी तरह की अड़चन की बात लिखी है। वहीं कुछ अधिकारियों का कहना है कि एक जुर्म में शामिल सभी दोषियों को एक ही दिन फांसी पर लटकाया जा सकता है।

इस बात को लेकर कानूनी सलाह ली जा रही है। एक दोषी मुकेश को छोड़कर अन्य दोषियों के पास कानूनी विकल्प होने के बावजूद बृहस्पतिवार को जल्लाद के तिहाड़ पहुंचने से भी इस बात को बल मिल रहा है कि मुकेश को एक फरवरी को फांसी दी जा सकती है क्योंकि उसके सभी कानूनी विकल्प समाप्त हो चुके हैं।

निर्भया के दोषियों को फांसी देने वाला जल्लाद तिहाड़ जेल पहुंचा
एक फरवरी को फांसी होगी या नहीं इसकी अटकलों के बीच बृहस्पतिवार शाम जल्लाद पवन मेरठ से तिहाड़ जेल पहुंचा। तिहाड़ में उसके रहने की व्यवस्था की गई है। जेल सूत्रों का कहना है कि शुक्रवार को जल्लाद की उपस्थिति में फांसी का अभ्यास किया जाएगा। इस दौरान सभी संबंधित कर्मचारी और अधिकारी मौजूद रहेंगे जिनका जेल मेन्युअल के अनुसार मौजूद रहना जरूरी है।

जेल सूत्रों का कहना है कि जिन कर्मचारी और अधिकारी को फांसी के दौरान मौजूद रहना है उनकी लिस्ट तैयार कर ली गई है। जेल प्रशासन बक्सर से मंगाई गई रस्सी शुक्रवार को अभ्यास के दौरान जल्लाद को सौंपेगा जिससे वह फंदा तैयार करेगा। इसके पहले वह दोषियों की रिपोर्ट देखेगा और फंदे की लंबाई तय करेगा।

दोषियों के वजन के अनुसार ही पुतले का वजन तय करेगा। अभ्यास के दौरान कोई गड़बड़ी होने पर उसे तत्काल सुधारा जाएगा। अभ्यास के दौरान फांसी घर में वैसी ही खामोशी रहेगी, जैसी फांसी देने के समय होती है और सारी बातें इशारों में की जाती हैं।

तीन घंटे की होती है फांसी की प्रक्रिया
जेल सूत्रों के अनुसार फांसी की पूरी प्रक्रिया में तीन घंटे का समय लगता है। फांसी के दिन दोषियों को सुबह पांच बजे उठा दिया जाता है। नहाने के बाद दोषियों को नए कपड़े पहने को दिए जाते हैं। उसके बाद चाय-नाश्ता के बारे में पूछा जाता है।

इस दौरान जेल अधीक्षक, उप अधीक्षक, मेडिकल आफिसर, सब डिविजनल मजिस्ट्रेट व करीब 12 सुरक्षा कर्मचारी वहां पहुंच जाते हैं। मजिस्ट्रेट दोषियों से अंतिम इच्छा पूछते हैं जिसमें खासकर संपत्ति को किसी के नाम करने, कोई वसीयत करने की इजाजत दी जाती है।

उसके बाद जल्लाद उनके चेहरे को काले कपड़े से ढक देता है। उनके हाथों को पीछे बांध दिया जाता है। उसके बाद तय समय पर सुरक्षा कर्मियों की मदद से दोषियों को फांसी घर ले जाया जाता है। जल्लाद इससे पहले वहां फांसी के फंदे को लटकाकर रखता है।

दोषियों के वहां पहुंचने पर जल्लाद उनके गले में फंदा डाल देता है और जेल अधीक्षक का इशारा होते ही लीवर खींच देता है। उसके बाद करीब दो घंटे के बाद मेडिकल जांच के बाद मेडिकल आफिसर मौत का सर्टिफिकेट जारी करता है।