चीन के वुहान शहर से फैले कोरोनावायरस ने दुनियाभर में अबतक 3100 से ज्यादा लोगों की जान ले ली है। भारत में भी इससे एक 76 वर्षीय बुजुर्ग की मौत हो गई। भारत में कोरोनावायरस संक्रमितों की संख्या बढ़कर 77 हो गई है। इस बीच लोगों में भय का माहौल है। कोरोनावायरस के लक्षण सर्दी-बुखार और सीजनल फ्लू से थोड़े बहुत मिलने के कारण लोग संशय(कन्फ्यूजन) में हैं। आपका संशय दूर करने के लिए यहां हम आपको बता रहे हैं कि पहले दिन से 15वें दिन तक कोरोनावायरस शरीर को कैसे प्रभावित करता है और मरीजों में कैसे लक्षण दिखते हैं:
चीन के वुहान शहर में कोरोनावायरस से संक्रमित 191 मरीजों के इलाज में हो रही प्रोग्रेस के विश्लेषण के आधार पर मेडिकल रिसर्च जर्नल लैंसेट में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, कोरोनावायरस (covid 19) गले के पीछे से पहले फेफड़ों में जाता है और फिर ब्लड में प्रवेश कर जाता है। बुधवार को प्रकाशित इस रिपोर्ट में बताया गया है कि एक से 14 दिन के अंदर मरीज में इसके संक्रमण के लक्षण दिख जाते हैं, जबकि कुछ मामलों में यह अवधि 27 दिन तक भी होती है।
आइए जानते हैं कोरोनावायरस का आपके शरीर पर कैसे पड़ता है असर:
1-3 दिन: लक्षणों की शुरुआत
सांस संबंधी लक्षणों के साथ शुरू हो सकता है
पहले दिन हल्का बुखार जैसा फील होता है
तीसरे दिन तक कफ और गले में खराश
कोरोना के 80 फीसदी मरीजों में ऐसे लक्षण दिखे।
4-9 दिन: फेफड़ों में असर
3 से 4 दिन में वायरस फेफड़ों तक पहुंच जाता है
चौथें से नौवें दिन के बीच सांस लेने में दिक्कत बढ़ जाती है
फेफड़ों की थैली या एल्वियोली में सूजन शुरू हो जाता है
फेफड़ों की थैली में तरल पदार्थ भर जाता है और मवाद निकलने लगता है
इस कारण सांस की दिक्कत और ज्यादा हो जाती है।
संक्रमित मरीजों में से 14 फीसदी में ये गंभीर लक्षण दिखे।
8-15 दिन: रक्त संक्रमण
फेफड़ों से होकर संक्रमण हमारे ब्लड में पहुंच जाता है
एक हफ्ता बीतने के साथ ही सेप्सिस जैसी घातक बीमारी भी हो सकती है
संक्रमित पांच फीसदी ऐसे मरीजों को आईसीयू में रखना जरूरी हो जाता है
सेप्सिस, ब्लड में बैक्टीरिया संक्रमण से फैलने वाली बीमारी है, जिसमें सूजन, खून के थक्के बनने और ब्लड वेसेल्स यानी रक्त वाहिकाओं से रिसाव होने लगता है। इससे ब्लड सर्कुलेशन खराब हो जाता है और शरीर के अंगों को ऑक्सीजन नहीं मिल पाता और वे धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते है।
अब सवाल यह भी है कि आखिर कोरोना की वजह से लोगों की मौतें कैसे हो रही हैं। द लैंसेट जर्नल में प्रकाशित इस रिपोर्ट के मुताबिक मरीजों की मौत के पीछे खून में ऑक्सीजन की कमी होने से सांसों का बंद होना और हार्ट अटैक एक सामान्य वजह रही। 191 मरीजों पर शोध करने पर पाया गया कि इन मरीजों के संक्रमण और अस्पताल के छुट्टी के बीच औसत समय 22 दिन है। वहीं, इलाज के दौरान 18.5 दिनों में मत्यु हुई।
191 में से जिन 32 मरीजों को वेंटीलेटर की आवश्यकता हुई, उनमें से 31 की मौत हो गई। वेंटीलेटर पर रखे मरीजों के मरने का औसत समय मात्र 14.5 दिन रहा। तीन मरीजों को फेफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंचाने के बाद उसे ब्लड में मिलाने के लिए भी मेडिकल सहायता देनी पड़ी, लेकिन इसके बावजूद इनमें से एक भी जिंदा नहीं बचे।
