दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत का परचम लहराने वाली आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं. केजरीवाल का शपथ ग्रहण समारोह 16 फरवरी को होगा. आइए आचार्य भूषण कौशल से जानते हैं बतौर मुख्यमंत्री अगले 5 साल अरविंद केजरीवाल के लिए कैसे रहने वाले हैं.
ज्योतिषाचार्य का कहना है कि अरविंद केजरीवाल के लग्न में गुरु की महादशा चल रही है. अगस्त, 2020 में गुरु के बाद शनि की महादशा शुरू होगी.
अरविंद केजरीवाल की कुंडली मेष लग्न की है और शनि मकर राशि में बैठे हुए हैं. इस हिसाब से शनि एकदम केंद्र में हैं. केंद्र में शनि के रहते हुए जनता का भरोसा जीतना आसान हो जाता है, जैसा केजरीवाल के मामले में हुआ भी है.
ये बड़ी संयोग की बात है कि देश में अब तक जितने भी प्रधानमंत्री बने हैं उनकी कुंडली के केंद्र में शनि था. ऐसे में राजनीति में केजरीवाल का उदय होना तय मना जा सकता है.
केजरीवाल के मेष लग्न में नीच का शनि है, लेकिन इनके केंद्र में सूर्य और बुध आदित्य योग से राजयोग बन रहा है. मंगल और गुरु नवम भाव धनु राशि में है. नीच का मंगल इनकी राशि में करियर को चार चांद लगाने का काम कर रहा है.
ग्रहों की स्थिति देखने के बाद ये कहना गलत नहीं होगा कि अगले 5 साल बतौर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए बेहतरीन साबित होने वाले हैं. इस दौरान केजरीवाल क्षेत्रीय राजनीति से राष्ट्रीय राजनीति की तरफ भी रुख कर सकते हैं.
गुरु की दशा खत्म होते ही अगस्त में शनि की महादशा शुरू होगी. इस दौरान देश के अलावा विदेशों में भी लोकप्रियता हासिल करने के योग हैं. पार्टी का नेतृत्व भी वह पहले से ज्यादा बेहतर कर पाएंगे.
दशम भाव में बैठा शनि केजरीवाल को राष्ट्रीय राजनीति में सफलता दिलाने में मदद करेगा. इसके अलावा केजरीवाल को अपने चुनावी वादों को पूरा करने में भी ग्रहों का काफी सहयोग मिलेगा.
केजरीवाल ये अच्छी तरह जानते हैं कि उनकी कुंडली में नीच का मंगल यानी रोजगार का स्वामी बैठा हुआ है. इसलिए वह अपनी जीत पर भी हनुमान को याद करना नहीं भूले. अगले 5 साल भी उन्हें मंगल हर कार्य में सफलता दिलाएगा.
वहीं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुंडली वृश्चिक लग्न की है. मोदी की राशि से भी शनि की साढ़े साती खत्म होने जा रही है. ऐसी स्थिति में पीएम मोदी के एक बार फिर जनता के साथ मेल-मिलाप होने के योग बन रहे हैं.
मोदी-केजरीवाल की कुंडलियों में ग्रहों की स्थिति यही कह रही हैं कि दोनों मिलकर बिना एक-दूसरे की आलोचना किए दिल्ली को आगे ले जाने का काम करेंगे. कुल मिलाकर देखा जाए तो दोनों के लिए राजनीति में आगे बहुत ज्यादा रुकावटें देखने को नहीं मिल रही हैं.