(www.arya-tv.com) अपनी सादगी से हिंदी सिनेमा में अलग पहचान रखने वाली नूतन की आज 86वीं बर्थ एनिवर्सरी है। सुजाता, छलिया, बंदिनी जैसी बेहतरीन फिल्में देने वाली नूतन को एक जमाने में उनके चेहरे, शरीर और कद के चलते खूब ताने सुनने पड़ते थे। लोगों और रिश्तेदारों के तानों के चलते नूतन खुद को बदसूरत समझने लगी थीं, लेकिन यही नूतन जब फिल्मों में आईं तो उन्होंने बड़ी-बड़ी अभिनेत्रियों को पीछे कर दिया।
राजेंद्र कुमार, शम्मी कपूर और संजीव कुमार जैसे कई बड़े अभिनेता भी इनकी खूबसूरती के कायल थे। ये उस दौर की पहली एक्ट्रेस थीं जिन्हें 40 साल की उम्र में भी लीड एक्ट्रेस का रोल मिलता था।
महज 8 साल की उम्र में नूतन ने मां के नक्शेकदम पर चलकर अभिनय करियर की शुरुआत की थी। 45 साल के एक्टिंग करियर में नूतन ने कई बेहतरीन फिल्में दीं और 9 बार बेस्ट एक्ट्रेस का खिताब जीता।
4 जून 1936 में बॉम्बे (अब मुंबई) में जन्मीं नूतन के पिता कुमारसेन समर्थ एक फिल्ममेकर हुआ करते थे और मां शोभना समर्थ एक जमाने की जानी-मानी अभिनेत्री थीं। बचपन से ही नूतन का वजन काफी कम हुआ करता था, रंग सांवला था और कद ऊंचा।
उस दौर में फिल्मों में गठीले बदन की महिलाओं को लिया जाता था, जिससे दुबले पतले और सांवले लोगों को कुरूप समझा जाने लगा। घरवाले भी नूतन को उनके लुक के चलते खूब ताने दिया करते थे, जिससे वो काफी प्रभावित हुईं।
बचपन से ही नूतन खुद को दुनिया की सबसे बदसूरत लड़की समझने लगीं और लोगों से झिझकने लगी थीं। नूतन के लुक को देखकर खुद मां शोभना को लगता था कि उन्हें फिल्मों में हाथ नहीं आजमाना चाहिए।
14 साल की उम्र में ठुकरा दी थी मुगल-ए-आजम
नूतन ने साल 1945 की फिल्म नल दमयंती से बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट एक्टिंग करियर शुरू किया था। महज 14 साल की उम्र में नूतन को के आसिफ की फिल्म मुगल-ए-आजम का ऑफर मिला। खुद को बदसूरत समझने वाली नूतन को फिल्म में अनारकली का रोल ऑफर हुआ था, लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया।
मां ने फिल्मों में दी जगह
मुगल-ए-आजम ठुकराने के बाद मां शोभना ने नूतन को लॉन्च करने की जिम्मेदारी ली। 14 साल की नूतन को लेकर शोभना ने हमारी बेटी बनाई। फिल्म में नूतन की छोटी बहन का रोल उनकी असल बहन तनूजा को मिला था। 5 साल की तनूजा सिर्फ एक नींबू पानी के लिए फिल्म में काम करने के लिए राजी हो गई थीं।
खुद की फिल्म देखने नहीं जा सकीं नूतन
1951 में नूतन फिल्म नगीना में नजर आईं। जब ये फिल्म रिलीज हुई तो नूतन महज 15 साल की थीं। नियमों के अनुसार ए-सर्टिफिकेट की फिल्मों को 18 साल से बड़े लोग ही देख सकते थे, लेकिन नूतन सिर्फ 15 साल की थीं। फिर क्या था अंडरएज होने के कारण नूतन खुद अपनी फिल्म के प्रीमियर में नहीं जा सकीं। हम लोग फिल्म से फिर एक बार नूतन ने देश भर में अपने अभिनय से लोगों का दिल जीता।
एक फिल्म से नूतन ने बदल दी लोगों की सोच
पहली फिल्म से नूतन को देशभर में पहचान मिल चुकी थी। जो रिश्तेदार ताने दिया करते थे वही अब फोन करके तारीफ कर रहे थे। नूतन ने खुद कहा- जो रिश्तेदार मुझे बदसूरत करते थे, उनकी सोच रातों-रात बदल गई थी। वो कहने लगे थे कि उन्हें मुझ पर गर्व है।