काम की खबर: सिर्फ 600 से 800 रुपये में खरीदें एक लाख का साइबर बीमा

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देश जिस गति से डिजिटलीकरण की दिशा में आगे बढ़ रहा है, उतनी ही तेजी से साइबर धोखाधड़ी के मामले भी बढ़ रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में आम लोगों के साथ कॉरपोरेट भी इसके शिकार हुए हैं।आज जालसाजों से अपनी गाढ़ी कमाई को बचाना बड़ी चुनौती बन गया है। हममें से ज्यादातर लोग अपने कंप्यूटर और स्मार्टफोन से ही नहीं बल्कि ऑफिस कंप्यूटर और सार्वजनिक वाईफाई के जरिए भी वित्तीय लेनदेन करते हैं। अलग-अलग उपकरणों से निजी जानकारियों तक पहुंच से हम तमाम तरह के जोखिमों के संपर्क में आ जाते हैं। सुरक्षा के तमाम उपाय के बावजूद हैकर्स साइबर धोखाधड़ी के नए-नए तरीके अपना रहे हैं। इसे देखते हुए साइबर बीमा की महत्ता बढ़ गई है, जिसे बड़ी-छोटी कंपनियों के साथ आम लोगों को भी जरूर लेना चाहिए।

ऐसे जोखिमों से मिलती है सुरक्षा
साइबर बीमा विभिन्न प्रकार के साइबर जोखिम से सुरक्षा देता है। इनमें आईडेंटिटी चोरी, सोशल मीडिया लायबिलिटी, साइबर स्टॉकिंग, मालवेयर अटैक, आईटी चोरी से नुकसान और साइबर एक्सटॉर्शन आदि शामिल हैं। यह ई-मेल स्पूफिंग और फिशिंग से होने वाले नुकसान को भी कवर करता है। कुछ कंपनियों का मानना है कि साइबर बीमा महंगा हो सकता है, लेकिन इसकी प्रीमियम दरें बहुत प्रतिस्पर्धी हैं। आपको एक लाख रुपये का साइबर बीमा लेने के लिए सालाना 600-800 रुपये खर्च करने पड़ सकते हैं।

ई-मेल स्पूफिंग और फिशिंग से वित्तीय नुकसान
बैंक खाते, डेबिट-क्रेडिट कार्ड या ई-वॉलेट में ऑनलाइन भुगतान में धोखाधड़ी

गोपनीयता पर हमले से प्रतिष्ठा को पहुंचा नुकसान
मालवेयर से डाटा या कंप्यूटर प्रोग्राम को पहुंचे नुकसान के बाद इन्हें वापस इंस्टॉल

करने पर होने वाला खर्च
परामर्श सेवाओं और कोर्ट में सुनवाई के दौरान पहुंचने का खर्च

बचाव के लिए इन बातों का रखें ध्यान
पर्सनल डिवाइस पर एप में संवेदनशील डाटा रखते समय जरूर देखें कि आपके पास ऐसा सुरक्षा टूल है, जो मालवेयर, रेंसमवेयर या साइबर अपराध का पता लगा सके।
अज्ञात सोर्स वाले ई-मेल या वेबसाइट की अचानक खुलने वाली पॉप-अप विंडो में दी लिंक पर क्लिक न करें।

अज्ञात वेबसाइट पर ई-मेल रजिस्टर्ड करने से बचें।
सही वेबसाइट की पुष्टि करने के लिए वेबसाइट के नाम के आगे देखें कि https:// लगा है या नहीं।
मजबूत पासवर्ड बनाएं। अलग-अलग अकाउंट पर एक ही पासवर्ड इस्तेमाल न करें।

बचाव के लिए इन बातों का रखें ध्यान
पर्सनल डिवाइस पर एप में संवेदनशील डाटा रखते समय जरूर देखें कि आपके पास ऐसा सुरक्षा टूल है, जो मालवेयर, रेंसमवेयर या साइबर अपराध का पता लगा सके।
अज्ञात सोर्स वाले ई-मेल या वेबसाइट की अचानक खुलने वाली पॉप-अप विंडो में दी लिंक पर क्लिक न करें।
अज्ञात वेबसाइट पर ई-मेल रजिस्टर्ड करने से बचें।
सही वेबसाइट की पुष्टि करने के लिए वेबसाइट के नाम के आगे देखें कि https:// लगा है या नहीं।
मजबूत पासवर्ड बनाएं। अलग-अलग अकाउंट पर एक ही पासवर्ड इस्तेमाल न करें।

1.42 लाख करोड़ का होगा साइबर बीमा बाजार
वैश्विक स्तर पर साइबर बीमा का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। 2025 तक इसके 20 अरब डॉलर (करीब 1.42 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंचने की उम्मीद है। लेकिन भारत में अभी यह 500-700 करोड़ रुपये का है। देश में भी कुछ कंपनियां साइबर बीमा मुहैया करा रही हैं। हालांकि, ऐसे धोखाधड़ी के मामले बढ़ने के बावजूद भारत में कुछ वित्तीय कंपनियों ने ही साइबर बीमा लिया है, लेकिन कम प्रीमियम वाला। इसमें सभी प्रकार की साइबर धोखाधड़ी कवर नहीं होती है, जिससे वित्तीय मोर्चे पर कंपनियों के लिए खतरा बना रहता है।

दिल्ली-एनसीआर में सबसे ज्यादा खतरा
2019 के लिए जारी क्विक हील की सालाना रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में महाराष्ट्र, दिल्ली-एनसीआर, पश्चिम बंगाल और गुजरात ऐसे राज्य हैं, जहां साइबर धोखाधड़ी का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र और दिल्ली-एनसीआर के उपभोक्ताओं को सबसे ज्यादा क्रमश: 3.8 करोड़ और 2.5 करोड़ बार निशाना बनाया गया।