कानूनी विवादों में फंसे लाखों कर मामलों से न सिर्फ करदाता वर्षों से मानसिक तनाव झेल रहे, बल्कि सरकार का भी करोड़ों रुपये का राजस्व फंसा हुआ है। ऐसे मामलों का तेजी से निपटान करने के लिए सरकार ने बजट 2020-21 में विवाद से विश्वास योजना का प्रस्ताव पेश किया है। इसमें कानूनी झमेलों की मार झेल रहे करदाताओं को निश्चित अवधि के भीतर आवेदन कर मामूली भुगतान के साथ विवाद निपटाने का अवसर दिया गया है।
अगर कोई करदाता इस योजना के तहत 31 मार्च, 2020 से पहले आवेदन करता है, तो उससे विवाद से जुड़ा कोई भी सवाल नहीं किया जाएगा। आयकर विभाग सिर्फ विवाद में फंसी राशि लेकर उसे मामला सुलझाने का प्रमाण पत्र जारी कर देगा। इसके अलावा, जो करदाता 1 अप्रैल से 30 जून, 2020 के बीच में आवेदन करते हैं, तो उन्हें विवादित राशि के साथ उसका 10 फीसदी अतिरिक्त शुल्क के रूप में चुकाना होगा। ऐसे करदाता जिन्होंने शुल्क, ब्याज या जुर्माने की राशि को लेकर मुकदमा दायर किया है, उन्हें 31 मार्च तक 25 फीसदी विवादित शुल्क या 30 जून तक 30 फीसदी विवादित शुल्क चुकाकर इससे छुटकारा मिल सकता है।
छह स्टेप्स में पूरा होगा काम
करदाता विवाद से विश्वास डेक्लेरेशन फॉर्म में सभी जरूरी जानकारियां भरकर फोरम में जमा कराएं।
आयकर विभाग की ओर से 15 दिनों के भीतर प्रमाण पत्र जारी हो जाएगा जिसमें योजना के तहत कुल देय राशि का खुलासा होगा।
करदाता को प्रमाण पत्र मिलने के 15 दिनों के भीतर उसमें बताई राशि जमा करानी होगी।
इसकी जानकारी एक तय फॉर्म में भरकर वापस आयकर विभाग के साथ साझा करनी होगी।
इसके बाद करदाता को भुगतान किए जाने से संबंधित एक आदेश जारी कर दिया जाएगा।
यह आदेश पूरी तरह निर्णात्मक होगा और इसे देश या विदेश की किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकेगी।
हालांकि इस योजना के तहत कुछ करदाताओं को राहत नहीं मिलेगी, आइए जानते हैं उनके बारे में।
ऐसे करदाताओं को नहीं मिलेगी राहत
सरकार ने योजना में स्पष्ट किया है जिस आय का खुलासा नहीं किया गया अथवा जो संपत्ति भारत से बाहर स्थित है, उन पर चल रहे कर विवादों में इससे कोई राहत नहीं मिलेगी। इसके अलावा जिन मामलों में किसी निश्चित आकलन वर्ष के लिए फोरम या कोर्ट पहले ही फैसला सुना चुका है। उन्हें भी योजना का लाभ नहीं दिया जा सकेगा। साथ ही जिन लोगों के खिलाफ स्मगलिंग जैसे मामलों में हिरासत या गिरफ्तारी के आदेश जारी हो चुके हैं अथवा बेनामी संपत्ति के हस्तांतरण, धनशोधन, ड्रग्स या गैरकानूनी मामलों में कोई आदेश जारी किया गया है, उन्हें भी योजना के तहत शामिल नहीं किया जाएगा। एक अनुमान के मुताबिक, देश में करीब 4.83 लाख विवादों मामलों में 9.41 लाख करोड़ की राशि फंसी हुई है।