एनजीटी का खुलासा: दिल्ली की अवैध बस्तियों ने यमुना को किया नाश

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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कहा है कि देश की राजधानी में तेजी से बनीं अवैध बस्तियों ने यमुना नदी को तबाह कर दिया है। एनजीटी ने बुधवार को कहा कि इसके कारण पर्यावरण को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।
एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस एके गोयल की पीठ ने कहा कि यह स्थिति केवल दिल्ली तक सीमित नहीं है, बल्कि यही हाल उत्तर प्रदेश और हरियाणा का भी है। पिछले 20 वर्षों से बेरोकटोक अवैध कॉलोनियों के विस्तार का अनुभव बताता है कि इससे आबादी का बड़ा हिस्सा बेतरतीब ढंग से रह रहा है। इससे सड़कें और सीवर व्यवस्था चरमरा गई है। पीठ ने कहा कि ऐसी बस्तियों में लोग घरों से ही ऐसी गतिविधियां चला रहे हैं, जो खतरनाक होने के साथ-साथ पहले से ही प्रदूषित नदी और पर्यावरण को और प्रदूषित कर रही हैं।

एसटीपी व सीवेज के प्रबंधन की जानकारी नहीं
एनजीटी ने कहा कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, नालों और सीवेज के नदी में गिरने से रोकने के लिए पेशेवर प्रबंधन की कोई जानकारी नहीं है। पीठ ने कहा कि दो करोड़ की आबादी वाले शहर में 70 लाख से ज्यादा लोग अवैध बस्तियों में हैं, जहां सीवेज की व्यवस्था नहीं है। इससे वातावरण प्रभावित होगा।

सोसायटियों में पानी की बर्बादी रोके जल बोर्ड
एनजीटी ने दिल्ली जल बोर्ड को केजरीवाल सरकार की मुफ्त पानी योजना के कारण हाउसिंग सोसाइटियों में होने वाली पानी की बर्बादी रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने का निर्देश दिया है। गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी की सरकार दिल्ली में हर परिवार को प्रतिमाह 20 हजार लीटर पानी मुफ्त देती है।

तीन माह में अतिक्रमण हटाए डीडीए
एनजीटी ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को निर्देश दिया है कि वह यमुना के पूरे डूब क्षेत्र को तीन महीने के अंदर अतिक्रमण से खाली कराए और उसकी तारबंदी कर उसे जैवविविधता पार्क में तब्दील करे। ट्रिब्यूनल ने यमुना किनारे खेती पर रोक लगाने की बात फिर दोहराई है।

एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस एके गोयल ने चेतावनी दी है कि यदि डीडीए ने आदेश का अनुपालन नहीं किया तो उसे अगले साल एक अप्रैल से प्रतिमाह पांच लाख का जुर्माना भरना पड़ेगा। यह जुर्माना अधिकारियों के वेतन से वसूला जा सकता है। जुर्माने की रकम केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में जमा कराया जाएगा ताकि वह पर्यावरण को दुरुस्त कर सके। एनजीटी के निर्देश के अनुपालन की निगरानी समिति करेगी।