पाकिस्तान में एक सप्ताह से जारी सियासी गतिरोध थम नहीं रहा है। मौलाना फजलुर्रहमान के नेतृत्व में हजारों प्रदर्शनकारी राजधानी इस्लामाबाद में डटे हुए हैं। जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फज्ल (जेयूआई-एफ) प्रमुख मौलाना रहमान ने नई शर्त रखते हुए दोबारा अल्टीमेटम दिया कि इमरान खान या तो प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दें अन्यथा तीन महीने के भीतर देश में आम चुनाव कराएं।
मौलाना ने पंजाब प्रांत के स्पीकर चौधरी परवेज इलाही के जरिए सरकार की वार्ता समिति को अपनी नई मांग से अवगत कराया। सूत्रों के मुताबिक, मौलाना ने कहा कि अगर इमरान अपने पद से इस्तीफा देने को नहीं तैयार हैं तो सरकार तीन महीने के भीतर देश में नए सिरे से चुनाव कराने की हमारी शर्त को स्वीकार करें। सरकार को इन दो विकल्पों में एक को चुनना होगा।
सूत्रों का कहना है कि मौलाना रविवार तक सरकार के जवाब का इंतजार करने के बाद अगली रणनीति तय करेंगे। इसके तहत मौलाना के हजारों समर्थक पाकिस्तान के बड़े और प्रमुख राजमार्गों को जाम कर सकते हैं।
सरकार का वार्ता प्रस्ताव
पाकिस्तान सरकार ने प्रदर्शनकारियों से धरना खत्म करने और मौलाना समेत तमाम विपक्षी नेताओं को बातचीत का प्रस्ताव दिया है। रक्षा मंत्री परवेज खट्टक ने नेशनल एसेंबली सत्र के दौरान विपक्षी नेताओं से मतभेद दूर कर वार्ता की अपील की। वार्ता समिति का नेतृत्व88 कर रहे खट्टक ने कहा कि मौलाना और उनके समर्थक धरना देना दें, लेकिन देश को नुकसान न पहुंचाएं।
तो बातचीत का क्या है फायदा?
सरकार की वार्ता समिति ने इमरान से चर्चा की और मौलाना की नई मांगों की जानकारी दी। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैंने मौलाना के नेतृत्व में विपक्षी नेताओं इस्लामाबाद में धरना प्रदर्शन की खुले दिल से इजाजत दी। मैं चाहता था कि इस मामले का राजनीतिक तरीके से हल निकले, लेकिन वे इस्तीफे की मांग पर अड़े हैं तो बातचीत का क्या फायदा? मैं चुनाव में धांधली के आरोपों की जांच को तैयार हूं।’
