अभी कई देशों में 5-जी पहुंचा भी नहीं, की 6-जी को लेकर मारामारी शुरू

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दुनिया ने अभी 5-जी की वायरलैस सेवाओं का आनंद उठाना कायदे से शुरू भी नहीं किया है और 6-जी टैक्नोलॉजी पर भी जोरशोर से काम करने की हवा बहना शुरू हो गई है। चीन ने सरकारी तौर पर दो ही दिन पहले यह घोषणा की है कि उसने दो टीमों का गठन करके इस बारे में शोध और अध्ययन का काम शुरू कर दिया है।

2018 से ही शुरू कर दिया था 6-जी पर काम
इन दो टीमों में एक टीम सरकारी विभाग की है जो 6-जी टैक्नोलॉजी को अमल में लाने के काम को देखेगी। दूसरी टीम में विश्वविद्यालयों, वैज्ञानिक संस्थानों और कार्पोरेशनों के 37 विशेषज्ञ हैं जो सरकार के 6-जी संबंधी अहम निर्णयों के बारे में तकनीकी सुझाव देने का काम करते रहेंगे।
याद रहे कि चीन सरकार के उद्योग और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 2018 में ही एक कार्यदल गठित करके 6-जी पर काम करना शुरू कर दिया था।

5-जी के सूरते हाल भी ठीक से पता नहीं, फिर भी…
यह अलग बात है कि 5-जी में डाटा स्थानांतरण की गति 4-जी के मुकाबले 10 गुना तेज होगी, लेकिन अभी तो यह भी ठीक से पता नहीं है कि 5-जी टैक्नोलॉजी का व्यापक प्रयोग शुरू होने के बाद आम उपभोक्ता की जिंदगी कैसे बदलने वाली है। कोरियाई, चीनी और नोकिया-एरिक्सन सरीखी यूरोप की बड़ी कंपनियों के बीच 5-जी को लेकर जबर्दस्त प्रतिद्वन्द्विता चल ही रही है। इसी के साथ-साथ 6-जी को लेकर भी इन देशों की निजी कंपनियां और सरकारी संस्थाएं भी बहुत तेजी से शोध और विकास के क्षेत्र में जुट गई हैं।

है दूर की कौड़ी, तो भी सब जुटे हैं…
यह तब है जब 6-जी तो बहुत दूर की कौड़ी है और इसके मानकों को लेकर भी अभी तक कोई स्पष्टता नहीं है। सबको पता है कि 6-जी टैक्नोलॉजी से जुड़े उत्पाद बाजार में 2030 तक आने वाले नहीं हैं। फिर भी, चीन के इस सरकारी कदम के अलावा चीन की कम्पनी हुआवे भी इस रेस में उतरी हुई है जो 5-जी के क्षेत्र में मार्केट लीडर मानी जाती रही है।

दक्षिण कोरियाई कंपनी एस.के. टैलीकॉम ने नोकिया और एरिक्सन के साथ मिलकर इसी साल मार्च में 6-जी के लिए काम करने का करार किया है। इसी देश की सैमसंग भी 6-जी की प्रौद्योगिकी रेस में शामिल है। सैमसंग की ही प्रतिद्वन्द्वी एल.जी. इसी जनवरी में कोरिया एडवांस इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टैक्नोलॉजी स्थापित करके इस दिशा में काम करने की अपनी तेजी का इजहार कर चुकी है।