केंद्र सरकार एक नई योजना पर विचार कर रही है, जिसके बाद भारत में अब जल्द ही ब्यूटीशियन, इलेक्ट्रीशियन, प्लंबर या फिटनेस ट्रेनर जैसे सर्विस प्रोफेशनल्स के लिए जीएसटी नेटवर्क में रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी हो सकता है। सरकार के इस कदम से असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को संगठित क्षेत्र वर्कफोर्स में शामिल किया जाएगा। केंद्र सरकार भारत के असंगठित क्षेत्रों में काम कर रहे 45 करोड़ कामगारों का डाटाबेस तैयार करने में जुटी है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक इस डेटाबेस के जरिए इन कामगारों तक सरकारी योजनाओं का लाभ सीधा पहुंचाने में मदद मिलेगी। इसके लिए व्यापक सर्वे अभियान चलाया जा सकता है। 
पूर्व एमएसएमई सचिव ने दिया बयान
इस संदर्भ में पूर्व एमएसएमई सचिव उदय वर्मा ने कहा कि, ‘इससे उन लोगों को मदद मिलेगी जो रोजमर्रा की जिंदगी में हमारे लिए मददगार होते हैं। इसमें दूधवाला, चायवाला, नाई, सब्जी विक्रेता, आदि शामिल हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि डाटाबेस नहीं होने के कारण सरकार कई योजनाओं का लाभ इन कामगारों तक नहीं पहुंचा पा रही है।
सालाना टर्नओवर 40 लाख से कम होने पर नहीं भरना होगा जीएसटी
इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के अनुसार, उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी), अर्बनक्लैप, हाउसजॉय और ब्रो4यू जैसे ऑनलाइन मार्केटप्लेस के लिए यह अनिवार्य हो सकता है। नए नियम के बाद केवल जीएसटी नंबर वाले कामगार को अपने यहां काम दे सकें। ऐसे प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करने वाले प्लंबर्स, इलेक्ट्रिशियन, फिटनेस ट्रेनर्स, जिनका सालाना टर्नओवर 40 लाख रुपये से कम होगा, उन्हें जीएसटी नहीं भरना होगा।
45 करोड़ लोग असंगठित क्षेत्र में
बता दें कि मौजूदा समय में भारत में कुल वर्कफोर्स करीब 50 करोड़ लोगों की बताई जाती है। एक सरकारी अनुमान के अनुसार, इन कामगारों में से 90 फीसदी असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं। इन लोगों को न्यूनतम वेतन के अतिरिक्त सामाजिक सुरक्षा से जुड़े भी कई लाभ नहीं मिल पाते हैं। 50 करोड़ में से 45 करोड़ लोग असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं और केवल पांच करोड़ वर्कफोर्स ही संगठित क्षेत्र में काम कर रहे हैं। वेज कोड के तहत लाभ पाने वालों की पहचान मुमकिन हो सकेगी।
