अगर आप दिल्ली में रहतें हैं तो हो जाएं सावधान, 17 साल कम हो सकती है आपकी की उम्र

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दिल्ली-एनसीआर के हर क्षेत्र में वायु की गुणवत्ता बेहद खराब है। यहां रहने वाले लोग हवा नहीं बल्कि सांसों के जरिए जहर पी रहे हैं। ऐसे में यहां रहने वाले लोगों की जीवन प्रत्याशा घट रही है। एक नए अध्ययन का कहना है कि दिल्ली में रहने वाले लोगों की जीवन प्रत्याशा वायु प्रदूषण की वजह से 17 साल कम हो सकती है।
इसकी वजह वायु प्रदूषण का खतरनाक स्तर तक पहुंचना है। दरअसल, वायु प्रदूषण की वजह से दिल्ली वाले ऐसी हवा में सांस ले रहे हैं जो विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से तय मानक से 25 गुणा ज्यादा टॉक्सीन (विषाक्त कण) हैं। स्मॉग के चलते दिल्ली वाले पहले से ही हवा में मौजूद 2.5 पीएम के धूल के कणों को अपने भीतर ले रहे हैं। ये कण आपके भीतर जाकर फेफड़ों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
दरअसल वायु में मौजूद 2.5 पीएम वाले कण बेहद खतरनाक होते हैं। ये खून के थक्के बना देते हैं और रक्त संचार को रोक देते हैं। इसकी वजह से लोगों को हार्ट अटैक और फेफड़ों का संक्रमण हो सकता है। इसकी वजह से दिल्ली वालों की जीवन प्रत्याशा यानी कि लंबे वक्त तक जीने की चाहत कम हो सकती है। एक दूसरी रिपोर्ट में कहा गया है कि वायु प्रदूषण की वजह से लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो रही है और वजन भी बढ़ रहा है। साथ ही लोग कई तरह की गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।
शिकागो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने दुनियाभर के प्रदूषित शहरों का विश्लेषण किया है। इनमें से दिल्ली भी मौजूद है। इस विश्लेषण में पाया गया है कि दिल्ली के निवासी प्रदूषण की वजह से औसतन लगभग 10 वर्ष कम जीवित रहेंगे जबकि बीजिंग में रहने वाला 6 साल कम और लॉस एंजिल्स में रहने वालों की उम्र एक साल कम हो जाएगी। ‘स्ट्टे ऑफ ग्लोबल एयर’ नाम की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि वायु प्रदूषण दुनियाभर में मृत्यु दर की पांचवी सबसे बड़ी वजन बन रहा है।
ऐसे में अगर आप इस जहरीले धुएं में मास्क पहनकर बाहर नहीं निकल रहे हैं तो आपको एक बार फिर से सोचने की जरूरत है। क्योंकि स्मॉग की यह चादर आपके प्राणों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो रही है। सांस लेने में दिक्कत से लेकर फेफड़ों के इंफेक्शन तक कई तरह की बीमारियां आपको घेर रही हैं। वायु में मौजूद जहरीले कण सीधे आपके रोग प्रतिरोधक क्षमता पर प्रहार कर रहे हैं। वायु प्रदूषण का घातक असर सबसे ज्यादा बुजुर्गों और घरों में मौजूद छोटे बच्चों को हो रहा है।